परमेश्वर प्रगट हुए - नये नियम की यात्रा भाग 3 - शक्तिशाली पत्रSample

1 पतरस -कष्टों के आयाम
कष्ट क्यों?मानव जाति को परमेश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन करने तथा पाप को अपने जीवन में स्थान देने की वजह से कष्टों का सामना करना पड़ता है (रोमियों 5:12)।
कष्ट परमेश्वर की मूल योजना का हिस्सा कभी नहीं थे (यूहन्ना 1:5)। परमेश्वर और शैतान दोनों की उनकी योजना को पूरा करने के लिए आवश्यक वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं।
यह पत्र संसार भर में रहने वाले सभी यहूदियों को लिखा गया है।भयभीतपतरस अब बदल चुका है। वह यहूदियों को उत्साहित करता है कि वे क्लेशों का साहस और पवित्रता के साथ सामना करें। वह उन्हें क्लेशों के सकारात्मक पहलुओं के साथ सशक्त बनाता है। वह बताता है कि जिन लोगों का उद्धार नहीं हुआ है उन्हें और भी अधिक क्लेशों का सामना करना पड़ेगा।
ईश्वरहमेंकष्टोंकेमाध्यमसेमजबूतबनाताहै
हालॉंकि उसकी मूल योजना को चुरा लिया गया है,लेकिन वह हमारे विश्वास को परखने तथा अपने नाम को महिमा देने के लिए कष्टों का इस्तेमाल करते हैं। (1पतरस 1:6,7)।
शैतानपीड़ाकेज़रिएहमेंकमज़ोरकरनेकीकोशिशकरताहै
इसके बिल्कुल विपरीत शैतान,निरन्तर घात लगाकर,नाश करने की खोज में रहता है। (1 पतरस 5:8) ।
परीक्षाओं या कष्टों के प्रकार
अस्थाई कष्टःहमें सही या गलत कारणों से कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। बाइबल कहती है कि जब हम सही काम करते हैं,तब हमें कम कष्टों को सामना करना पड़ता है,लेकिन अगर फिर भी कष्ट आएं,तो भी हम धन्य लोग हैं (1पतरस 3:13) और हमें परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए (1पतरस 4:19)। हमें तैयार रहने की ज़रूरत है,लेकिन हमें फिर भी इस समय में सुशील और सम्मानजनक तरीके से बात करना चाहिए। यह गलती करके दुःख उठाने से ज़्यादा उत्तम है-अर्थात अपने किये का फल भुगतने से बेहतर है (1 पतरस 3:17)।
स्थाई कष्ट :सबसे बुरी पीड़ा का सामना पापियों को नरक में करना पड़ेगा। (1 पतरस 4:17)
जीवनशैली की मांगें
हमारे भले कामों तथा परमेश्वर की महिमा हेतू दुःख उठाने के लिए एक निश्चित जीवन शैली की आवश्यकता होती है। उस जीवन शैली का वर्णन सम्पूर्ण पुस्तक में किया गया है जिसमें शैतान से दूर तथा विचारों,बातों और कामों में परमेश्वर की ओर जाना शामिल है। यह उस तरह का जीवन जीना जैसा यीशु स्वयं अभी धरती पर होते तो जीते।
कष्टों के प्रति दृष्टिकोण
हमें सम्भवतः
· परमेश्वर की दृष्टि में अनमोल बनने के लिए,मसीह के समान जीवते पत्थर के रूप में अस्विकृति का सामना करना पड़ सकता है (1पतरस 2:4)।
· एक चरवाहे के रूप में मसीह के कष्टों को साझा करना पड़ सकता है (1 पतरस 5:2,1 पतरस 2:25)। नेतृत्व अर्थात एक चरवाहे के हृदय में त्याग शामिल होता है।
कष्टों में आश्वासन
इसमें हमारे लिए क्या है?
· उद्धार (1 पतरस 1:9)
· सिद्धता (1 पतरस 5:10)
· शुद्धता (1 पतरस 1:22)
· कभी निराशा नहीं होती (1 पतरस 1:6,7)
· स्थिर रहने वाला वचन ( 1 पतरस 2:4,25)
· कृपा के लिए चुने गये (1 पतरस 2:9,10)
· कभी अकेले नहीं (1 पतरस 3:9)
· प्रार्थनाओं का उत्तर मिलता है (1 पतरस 3:10-12)
· आशीषें (1 पतरस 4:14)
· महिमा (1 पतरस 5:4)
कष्टों के बीच रवैय्या
यह जानते हुए सर्वदा आनन्दित रहें (1 पतरस 4:13, 1 पतरस 1:6) कि यह दशा थोड़े ही दिनों के लिए है। हर दशा में परमेश्वर की महिमा प्रगट होती है।
कई लोग कष्टों का सामना करने से इनकार कर देते हैं। कौन सी चीज़ हमें इसका सामना करने में सक्षम बनाती है?एक चरवाहे और जीवित पत्थर के रूप में हमारी क्या ज़िम्मेदारियां हैं?हम “सदैव आनन्दित” और क्लेशों में विजयी कैसे रह सकते हैं?
Scripture
About this Plan

उन्होंने प्रारम्भिक कलीसिया को हिला दिया था। यीशु के सबसे नज़दीकी चेलों यूहन्ना,पतरस, उसके भाई याकूब और यूहन्ना के द्वारा लिखी पत्रियां, लोगों के विचारों को लगातार प्रभावित करती हैं। वे अंधकार की शक्तियों और अंधकारमय युगों के आक्रमणों का सामना करने तथा उस से सुरक्षा पाने के लिए हमें तैयार करते हैं।
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