परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्राSample

इफिसियों- सीमाओं को धकेलना
सच्ची उपलब्धियां केवल सीमाओं को धकेलने;आरामदायक क्षेत्र से बाहर आकर और जैसा कि इफिसियों में लिखा हुआ है,सताव के बीच में भी फलदायी जीवन का पोषण करने पर ही प्राप्त हो सकती हैं।
हम यहां पर"अत्यधिक,बहुतायतसे,सबसेऊपर", "ईश्वरकीसंपूर्णपरिपूर्णतासेपरिपूर्ण",आदि।”ज़ोर देने वाले या अतिशयोक्ति के चिन्हों को देखते हैं। परमेश्वर हमें आशीष देने के लिए सीमाओं को बढ़ा रहे हैं और हमें अधिकाई से आशीर्वाद देने के लिए सशक्त बना रहे हैं।
हम एक तेजस्वी मंज़िल का आनन्द उठाते हैं
अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए अपने लक्ष्यों को संरेखित करने और परमश्ेवर की“अतुल्य सामर्थ्य का”अनुभव करने के लिए हमारी आत्मिक आंखों अर्थात हमारी“हृदय की आखों का”खुलना और प्रकाशमान होना आवश्यक है। इफिसियों1:18,19
हम सिद्ध सौहार्द का आनन्द उठाते हैं
यह भेद यह व्यक्त करता है कि सुसमाचार के माध्यम सें अन्यजातियां इस्राएलियों के साथ अर्थात मसीह के देह के साथ मिरास हकदार और यीशु मसीह की प्रतिज्ञाओं के भागीदार हैं। इफिसियों3:6
हो सकता है कि हमारी कलीसियाएं विभाजित और परमेश्वर की योजनाओं से अंसरेखित प्रतीत हों। लेकिन अगर बड़ी तस्वीर के पहलू से देखें तो,कलीसिया में कुछ छुड़ाए गये”“जीवित व सक्रिय पत्थर”हैं जो विश्वभर में मसीह की सच्ची देह को बनाने के लिए कार्य करते हैं- और जो उसके विशाल उद्देश्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
हम क्षमता का आनन्द उठाते हैं
अब जो ऐसासामर्थीहै कि हमारीबिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है,उस सामर्थ के अनुसारजो हमें में कार्य करता है...इफिसियों3:20। कितनी सुन्दर प्रतिज्ञा है- परमेश्वर की सामर्थ्य हमें हमारी सोच से बढ़कर सक्षम बना रही है। परमेश्वर की सामर्थ्य ने हम पर छाया कर रखी है!
हमारे भीतर काम करने वाली परमेश्वर की शक्ति को लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें दी गयी हैं:
· दृढ़ता से खड़े रहो (इफिसियों6:13,14)एक योद्धा के रूप में“परमेश्वर के सारे हथियार”धारण करने के बाद,घुल मिल जाना तो महत्वपूर्ण है,लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम बिना कोई समझौता किये हुए दृढ़ता से खड़े हो जाएं। लचीले हो परन्तु दृढ़ हों।
· निडरता से बोलें (इफिसियों6:19,4:15,5:19): साहस के साथ बोलें,लेकिन कूटनीति के साथ,सच्चाई का वर्णन करें लेकिन प्रेम के साथ,सीधा बोलें लेकिन सकारात्मकता के साथ बात घुमाकर बोलें।
· बिना थके प्रार्थना करते रहेंः हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना,और बिनती करते रहो,और इसी लिए जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिए बिनती किया करो। (इफिसियों6:18)
क्या हम बुरी तरह से दबाने वाली परिस्थितियों में दृढ़ता से खड़े हो सकते हैं?क्या हम क्रोधित अवस्था में भी“प्रेम से सत्य”बोलते हैं। किस तरह“सिद्ध प्रेम भय को दूर करता है (1यूहन्ना4:18)?हम एक दूसरे से भजनों में होकर कैसे बातें कर सकते हैं?हर समय प्रार्थना करने के लिए हमें कौन सी आदतों को अपने जीवन में शामिल करना होगा?
क्या हमने अपने आपको इतना खाली कर दिया है कि हमें परमेश्वर कीपरिपूर्णतासेभराजा सके?
Scripture
About this Plan

क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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