परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्राSample

1थिस्सलुनीकियों– उछाल मारती आशा
सुसमाचार की सुन्दरता यह है कि इसका प्रभाव उछाल मारता है;और खासतौर पर जब प्रचारक अपने संदेश के अनुसार अपने जीवन को व्यतीत करता है। पौलुस का संदेश और थिस्सलुनीकियों को नमूना यहीं पर समाप्त नहीं हो जाता है। वह मकिदूनिया और अखाया तथा अन्य स्थान के विश्वासियों तक गम्भीर सताव के बावजूद फैलता है। कौन सी चीज़ संदेश को इतना शक्तिशाली और प्रभावशाली बनाती है?
सच्चा उदाहरण (1थिस्सलुनीकियों1:2-7)
पौलुस का उदाहरण प्रगट करता है और उसका परिणाम होता हैः
§ धन्यवाद की प्रार्थना (1थिस्सलुनीकियों2:13)
§ विश्वास का कार्य (1थिस्सलुनीकियों1:8)
§ प्रेम में परिश्रम (1थिस्सलुनीकियों1:6)
§ आशा में दृढ़ता (1थिस्सलुनीकियों1:9,10)
संदेश के प्राप्तकर्ताओं की ओर से
पौलुस की शिक्षा(1थिस्सलुनीकियों2:3-6) हमारे लिए स्वयं को और दूसरों को मसीह के सच्चे प्रतिनिधियों के रूप में“परमेश्वर द्वारा अनुमोदित और सुसमाचार सौंपे जाने”के लिए एक मापदण्ड है, ताकिः
§ विरोध के बावजूद आगे बढ़ते रहें
§ उद्देश्य पवित्र हों
§ कोई चालबाज़ी,चापलूसी न करें और लालच को छुपाने के लिए कोई मुखौटा न लगाएं
§ दिन रात काम करें
§ प्रशंसा की अपेक्षा न करें
§ अधिकार का दावा न करें
कोमल रिश्ते (1थिस्सलुनीकियों2:8-3:13)
पौलुस अपनी प्रेरिताई का अधिकार जताने के बजाय,एक रिश्ता बनाता है (1थिस्सलुनीकियों2:7-3:13):
पौषण करने वाली मां के समान – कोमल,देखभाल करने वाली (1थिस्सलुनीकियों2:7)
एक पिता के समान – उभारना,प्रोत्साहित करना,सशक्त करना (1थिस्सलुनीकियों2:11,12)
अनाथ के समा – तीव्र इच्छा,हर एक प्रयास करना,बार-बार (1थिस्सलुनीकियों2:17,18,3:5)
एक भाई के समान - हिम्मत देने वाला,कृतज्ञ,आशीष (1थिस्सलुनीकियों3:7,9,10)
रिश्तों के द्वारा ही दूसरों को जीता जाता है।
रूपान्तरणकारी आशा (1थिस्सलुनीकियों4)
मसीही आशा एक निश्चय है जो हमारे दृष्टिकोण और कामों को बदल देती है।
पौलुस निम्न बातों का वर्णन करने के द्वारा हमारे दीर्ध कालीन दर्शन को पैना करता हैः
§ आशा का जीवन (1थिस्सलुनीकियों4:3,4,7)–एक शुद्ध,अनुशासित और पवित्र जीवन।
§ आशा से प्रेम (1थिस्सलुनीकियों4:9,10)निस्वार्थी और लगातार बढ़ने वाला प्रेम
§ आशा में असीमित भविष्य (1थिस्सलुनीकियों4:14-17)–वह मसीह फिर से आने वाला है और जो लोग उसकी सन्तान के रूप में जीवन बिताने का निर्णय करते हैं वे सबसे पहले बादलों पर उससे मिलने के लिए जीवन उठेंगे और उसके साथ अनन्तकाल जीवित रहेगें।
जीवन जीने के लिए सुझाव (1थिस्सलुनीकियों5 )
पौलुस हमें प्रोत्साहित करते हुए समाप्त करता हैः
§ सतर्क रहें - हमेशा संयम रखें,विश्वास,प्रेम और आशा के द्वारा सुरक्षित रहे
§ लोगों से आदर के साथ व्यवहार करें,सभी से मेल रखें और धीरज धरें,आलसी को कार्य करने के लिए प्रेरित करें,थके हुए और निराश को बढ़ावा दें।
§ अपने प्रति रवैय्या जो हर परिस्थिति में धन्यवाद देता है,सदैव आनन्दित रहता है,बिना रूके प्रार्थना करता,सब कुछ परखता है,और भलाई करने में दृढ़ बना रहता है।
§ दूर रहना – नींद से,बुराई के बदले बुराई करने से,पवित्र आत्मा को बुझाने से या सच्चे भविष्यद्वक्ता के वचनों को तुच्छ जानने से
क्या हम अपनी बातों और अपने जीवन के द्वारा प्रभाव डालने वाले हैं?क्या रिश्ते गहन और कोमल प्रेम के द्वारा परिभाषित होते हैं?क्या हम भविष्य में अपनी आशा के अनुसार अपने वर्तमान के जीवन को जीते हैं?
Scripture
About this Plan

क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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