परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्राSample

कुलुस्सियों- मसीह में सम्पूर्ण परिपक्वता
बच्चों को बढ़ते,विकसित और परिपक्व होते देखना अच्छा लगता हैं। लेकिन जब बच्चों के विकास की गति धीमी होती हैं तो हमें चिन्ता होने लगती है। इसी तरह से परमेश्वर भी हमें आत्मिक बच्चों से परिपक्व व्यस्क बनते देखना चाहते हैं।
झूठी शिक्षाएं सिद्धता से दूर रखती हैं। बहुत सी कलीसियाएं हैं जो मसीह की सप्रंभुता और प्रधानता को स्वीकार नहीं करती है उन्होंने उससे कम योग्य लोगों और परम्पराओं को मसीह का स्थान दे दिया है। यह प्रचलन प्रारम्भिक मसीही कलीसियाओं प्रचलित था और हो सकता है कि इसका विकास वहीं से हुआ हो।
मसीह की सर्वोच्चता
झूठी शिक्षाओं का सामना करते हुए जिसमें विशेष प्रज्ञानवाद शामिल हैं,पौलूस मसीह के रचनात्मक,दिव्य और छुटकारे सम्बन्धी कार्य के समाप्त होने पर ज़ोर देता है (कुलुस्सियों1:14-22;2:8-15)।
निम्नलिखित बातें कुलुस्सियों की कलीसिया में घुस गयी थीं[2]:
§ मानवीय दर्शन
§ यहूदियों की विधियां
§ शारीरिक लालसाओं को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियां (कुलुस्सियों2:20-23)
§ स्वर्गदूतों की उपासना (कुलुस्सियों2:18)
§ ज्ञाने में,रहस्य,गोपनीयता और श्रेष्ठता।
स्वयं संप्रभु परमेश्वर की पहिचान,मसीह,जो समस्त सृष्टि पर सर्वोच्च अधिकारी है वह परमेश्वर से कम नहीं है। सारी दुनिया उसके नियन्त्रण में हैं,वह कलीसिया का शिरोमणी और परमेश्वर की परिपूर्णता से परिपूर्ण है। केवल उसके और उसके क्रूस के माध्यम से ही हमारा परमेश्वर पिता के साथ मिलाप होता है। (कुलुस्सियों1:15-19)
अगुवों से परिपक्वता
परिपक्व मसीही बनाने के लिए परिपक्व अगुवों की आवश्यकता होती है। उन्हेंः
§ मसीह के कष्टों को पूरा करना पड़ता है – मसीह को लेकर सारी दुनिया तक पहुंचने के लिए प्रायः कठिन परीक्षाओं (कुलुस्सियों1:24)के माध्यम से मसीह के कष्टों को पूरा करना पड़ता है।
एक मिशनरी बहुत सी कठिनाईयों के बावज़ूद एक गांव से दूसरें गांव में सुसमाचार सुनाता हुआ गया। उसे गांव से बाहर निकाल दिया गया और वह थका हुआ गांव के बाहर जाकर सो गया।
जब वह सो रहा था तब गांव वालों ने उसके पैरों में छाले पड़े हुए देखें,तब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि उन्होंने प्रभु के उस जन को गांव से बाहर निकाल दिया है जिसने उन्हें संदेश सुनाने के लिए कष्टों को सहा।
उस प्रचारक ने अपने सुन्दर पैरों में छालों के द्वारायीशु के कष्टों को पूरा किया।
§ परमेश्वर के वचन का पूरा पूरा प्रचार करते हैं - प्रायः आंशिक या मिलावट किया हुआ,वचन को अगर“उसकी पूर्णता के साथ”प्रस्तुत नहीं किया जाता तो वह प्रभावहीन हो जाता है। (कुलुस्सियों1:25,26)
§ शिक्षाओं में सम्पूर्ण बुद्धि होती है- परमेश्वर की बुद्धि और परमेश्वर की आत्मा मिलकर एक सामर्थी संदेश तैयार करते हैं जिससे लोग परिपक्व बनते हैं (कुलुस्सियों1:28)।
§ प्राप्त की गयी सेवकाई को पूरा करता है - जो काम हमने या हम से पहले दूसरों ने प्रारम्भ किया है उसे पूरा करने के लिए धीरज की आवश्यकता पड़ती है। (कुलुस्सियों4:12,17)
मसीही की परिपक्वता
उनमें निम्न विशेषताएं होती हैः
§ उन्हें परमेश्वर की इच्छा का सम्पूर्ण ज्ञान होता है (कुलुस्सियों1:8-11,22,23;2:2,3;2,3)
§ पूर्ण आभार(कुलुस्सियों2:6,7,15,17)
§ पूरी तरह से उचित उपदेश (कुलुस्सियों2:16,4:5,6)
§ सम्पूर्ण आत्मविश्वास (कुलुस्सियों4:12,3:23,24)
क्या हम प्रचलित प्रचलनों के बावज़ूद सच्चाई को खोजनें और उसका अनुकरण करने के लिए तैयार हैं?क्या हम अपने जीवन में और जीवन के द्वारा मसीह के कार्यों को पूरा करने के लिए पूरा ज़ोर लगाते हैं?
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क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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