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परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्राSample

परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रा

DAY 10 OF 13

1तीमुथियुस-अच्छी लड़ाई लडते रहना

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, शरीर में मोटापा आना शुरू हो जाता है। खुद को बनाए रखना कठिन हो जाता है। ठीक और स्वस्थ रहने के लिए केवल अनुशासित प्रयास हमें वैसे ही बनाए रखेंगे।

कलीसिया के साथ भी ऐसा ही है। ग़लत सिद्धांत आ जाते हैं। यह तब और कठिन हो जाता है जब प्रभावशाली लोग उनका प्रचार कर रहे हों। पौलुस ने तीमुथियुस को कलीसिया के भीतर आत्मिक अनुशासन बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए कहा। ऐसा करने के लिए उसे "फाइटिंग फिट" होना होगा।

विश्वास के स्तर के आधार पर स्वस्थता (फिटनेस) के स्तर होते हैं।

आत्मिक स्वस्थता शुद्ध विवेक से उत्पन्न होता है

आत्मिक स्वस्थता संयम या शारीरिक अनुशासन से उत्पन्न नहीं होती है, हालांकि इसका उलटा सच हो सकता है। न ही यह महान ज्ञान पर आधारित है । यह स्पष्ट उद्देश्यों और आत्मा द्वारा नियंत्रित जीवन का परिणाम है।

लक्ष्य: पापियों को बचाना (1 तीमुथियुस 1:15): एक स्पष्ट और सामान्य लक्ष्य।

साधन/पहुंच: लड़ाई अच्छी तरह से लड़ो (1 तीमुथियुस 6:12)। लगातार सतर्क और कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

बचाव: विश्वास और अच्छे विवेक को थामे रहें (1 तीमुथियुस 1:18, इफिसियों 6:10-18) जो युद्ध के हथियार हैं।

स्वस्थता का तरीका या ढंग :

परमेश्वर से जुड़ें (1 तीमुथियुस 2:1-4) - निरंतर प्रार्थना और धार्मिक जीवन की आवश्यकता है।

दूसरों के साथ आचरण (1 तीमुथियुस 3:2,9-10) - निंदा से ऊपर और लोगों की ओर प्रवृत्त। पढ़ने और उपदेश और सिखाने की क्षमता।

स्वयं की देखभाल (1 तीमुथियुस 4:7,8,12-14) - कौशल को निखारें, भक्ति में प्रशिक्षित करें और एक आत्मविश्वासी अनुकरणीय व्यक्ति (रोल मॉडल बनें)

आत्मिक मोटापा अशुद्ध विवेक का परिणाम है

सही शब्दावली जानने और आकर्षक व्यक्तित्व या प्रभावशाली होने से कोई आत्मिक अगुवा नहीं बन जाता। कई लोग ग़लत इरादों से पदों पर बैठे हैं।

लक्ष्य: भौतिक लाभ या धन (1तीमुथियुस6:9,10);उनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं जो समान विचारधारा वाले लोगों को आकर्षित करते हैं।

साधन/पहुंच: निरर्थकचर्चा (1तीमुथियुस1:6),अटकलें(अनुमान) ,वाद विवाद- जो सच्चाई से भटकाती हैं।

बचाव: कमजोर और असुरक्षित (1तीमुथियुस4:8),वे आसानी से दूर होजाते हैं

स्वस्थता का तरीका या ढंग:

परमेश्वर से जुड़ें: महत्वहीन (1तीमुथियुस4:2,3) -वे गलत सिद्धांतों को बढ़ावा देकर और सच्चाई से दूर होकरकलीसियाओंको खतरे में डालते हैं।

दूसरों से जुड़ें: बिना सोचे समझे करने वाला (1तीमुथियुस2:8; 5:22) -क्रोध,विवादों और अविवेक को हावी होने देना

स्वयं की देखभाल: विलासिता (1तीमुथियुस3:5,6,11-13) -वे घमंड,बुरी आदतों,अनियंत्रित लालसाका शिकार हो जाते हैं और मसीह को दुनिया में ले जाने के बजाय दुनिया कोकलीसियामें लाते हैं।

विश्वासरूपीजहाजकाडूबनाअशुद्धविवेककापरिणामहै

किसीकाविवेकलंबेसमयतकअशुद्धनहींरहसकता।यातोइसेशुद्धकरनेकीज़रूरतहैनहींतोयहस्थायीरूपसेअशुद्धहोजायेगा।ऐसेलोगकलीसियाओंमेंनेतृत्वकीभूमिकानिभातेरहतेहैं।वेइतनीदूरचलेगएहैंकिवापसलौटनेकीकोईसंभावनानहींहै।(1तीमुथियुस4:2.3)

जबप्रभावशालीअगुवाकलीसियाकोभटकादेतेहैं,तोक्याहमएकउदाहरणबनाएरखतेहैं?

क्याहमझूठेशिक्षकोंसेदूररहतेहैं?क्याहमारेपासउन्हेंपूराकरनेकेलिएस्पष्टलक्ष्यऔरकार्यहैं?

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परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रा

क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।

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