परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्राSample

2 कुरिन्थियों- मिट्टी के बर्तन
तौर पर संदेश देने और उसे प्रभावशाली बनाने के लिए करिश्मा और सामर्थी बातों की जरूरत पड़ती है। पौलुस के पास ऐसा कुछ नहीं था,फिर उसने अन्य कई लोगों के समान इतिहास को प्रभावित किया।
1कुरिन्थियों के संदेश में स्वर्ग की ऊँचाई नापने के बाद,पौलुस अपनी शारीरिक चुनौतियों और प्रभु के अनुग्रह से उन पर विजय पाने पर किये गये संघर्ष के बारे में बताता है (2कुरिन्थियों12:9)।वह अपने कमज़ोर शरीर (मिट्टी के बर्तन) की तुलना मसीह की उत्कृष्ट शक्ति (2कुरिन्थियों4:7) -अर्थात बेजोड़ शक्ति के साथ करता है।
वह संदेशवाहकजिसेआलोचनामिली
सत्य को स्वीकार करना कठिन होता है। अपने आप से बने अगुवे पौलुस की प्रेरिताई,उसकी ईमानदारी,उसके व्यक्तित्व,उसके पेशे और उसके संदेशों पर प्रश्न करते हैं।
पौलुस इस सच्चाई के साथ प्रतिउत्तर देता है कि किसी चीज़ को स्वीकृति और प्रशसां परमेश्वर की ओर से होती है।
उसके पास एकमार्मिकसंदेश है
पौलुस अपनी शारीरिक कमज़ोरियों और उस सताव के बारे में बताता है जिसका उसने सामना किया था। वह (लगभग एक क्षमाप्रार्थी के रूप में) अपनी बुलाहट,दर्शन और रूपान्तरण की ओर इंगित करता है।
हमारे कमज़ोर क्षणों में,हम परमेश्वर की सामर्थ का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि उसकी सामर्थ्य कमज़ोरी में सिद्ध होती है”(2कुरिन्थियों12:9)और उसकी महिमा का धन विनम्र लोगों में प्रगट होता है – अर्थात मिट्टी के बर्तनों में धन (2कुरिन्थियों4:7)। हमें प्रगतिशील रूपान्तरण के लिए प्रोत्साहित किया गया है अर्थात“महिमा से महिमा तक”(2कुरिन्थियों3:18)।
उसकी सेवकाई आदर्श नमूना है
पौलुस अपना उद्यम और अपनी सेवकाई दोनों में दुगुना काम करता है। वह एक ईमानदार योजनाकार है।
जब हम अपने कामों की योजना बनाते और योजना के अनुसार कार्य करते हैं तब परमेश्वर ज़रूरत के हिसाब से द्वारों को खोलते और बन्द करते हैं। परमेश्वर की सेवा में आराम नहीं वरन समर्पण देखा जाता है (2कुरिन्थियों2:12,13)।
बहुत से ऐसे समय हैं जब वह पूरी तरह से वचन की सेवकाई पर सकेन्द्रित है (प्रेरितों18:5)। एक शक्तिशाली जीवन एक शक्तिशाली संदेश है (2कुरिन्थियों2:15-17)। जो भी सहभागिता व्यक्तिगत या व्यावसायिक तौर पर करते हैं उससे संदेश सशक्त होना चाहिए। (2कुरिन्थियों6:14-16)।
हमें अपने शिक्षाओं में मज़बूत परन्तु अपने तरीकों में लचीला होना चाहिए (2कुरिन्थियों9:22)।
पैसे के मामले में वह बोर्ड से ऊपर है।
धन उपार्जन करना वर्तमान काल में एक अति जटिल विषय है। लेकिन पौलुस के तरीके में किसी प्रकार के विरोध की गुंजाइश नहीं है। पौलुस एक सैद्धान्तिक रूप में क्रॉस फंडिग करता है- अर्थात जिन लोगों में वह सेवा करता है उनसे धन उपार्जन नहीं करता। वह अपनी सेवकाई की बजाय दूसरे लक्ष्यों के लिए धन उपार्जन करता है।
यदि कलीसियाएं और मसीही संस्थाएं ऐसे मज़बूत भागीदारी का आनन्द उठाएं जिसके अन्तर्गत वे एकत्र होकर एक दूसरे का समर्थन करें,तो यह कितनी खुशी की बात है। अन्त में तो सब कुछ मुहैय्या कराने वाले परमेश्वर ही हैं (2कुरिन्थियों9:8)।
हम सेवकाई में किस प्रकार के आक्रमणों का सामना करते हैं,हमारी प्रतिक्रियाएं क्या होती हैं?हम पौलुस की सेवकाई के नमूने से क्या सीखते हैं?हम उनका अनुपालन अपने जीवन में कैसे कर सकते हैं?हम“मिट्टी के मर्तबान”के रूप में कैसे प्रभावशाली हो सकते हैं?हमअपनेधनजुटानेऔरदेनेमेंकैसेसुधारकरसकतेहैं?
About this Plan

क्या हमारा जीवन मसीह से मुलाकात करने के बाद लगातार बदल रहा है? हम जीवन के परे सम्पत्ति को कैसे बना सकते हैं? हम कैसे आनन्द, सन्तुष्टि और शान्ति को हर परिस्थिति में बना कर रख सकते हैं? इन सारी बातों को वरन कई अन्य बातों को पौलुस की पत्री में सम्बोधित किया गया है।
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