मन की युद्धभूमिSample

केवल मसीह
मैंने यह कल्पना करने का प्रयास किया है, कि पौलुस के समय में कुरिन्थ या अन्य यूनानी शहरों में जाना और उन बुद्धिमान और श्रेष्ठ विचारकों से बात करना किस प्रकार लगता होगा। मुझे दिए गए हर एक विवरण के अध्ययन के बाद और तर्क वितर्क पूरा ज्ञान प्राप्त करने के बाद मैं परमेश्वर से प्रार्थना की होती कि वह उनके प्रश्नों को उत्तर देने में मेरी सहायता करे।
हमें नहीं मालूम कि पौलुस ने किस प्रकार किया होगा। परंतु उसका उत्तर भोचक्का करनेवाला है। बड़े तर्क वितर्क के साथ और तार्किक उत्तरों के साथ उनके पीछे जाने के बजाय वह ठीक बुद्धि दिशा में चला। वह कुरिन्थ में लगभग डेढ़ साल तक रहा और बहुत से लोग उसके द्वरा मसीह में आए। बाद में जब उसने 1 कुरिन्थियों का 196 मन की युद्धभूमि मनन संग्रह पत्री लिखा तब उसने कहा, ‘‘क्योंकि मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ।'' (2;2) यह अद्भूत है। यदि कोई व्यक्ति जो उन विद्वानों से तर्क वितर्क करने की योग्यता रखता था, और उनके तकोर्ं की नैश्वरता बता सकता था तो वह केवल पौलुस था। परन्तु पवित्र आत्मा के द्वारा अगुवाई पाने के कारण उसने एक गैर सुरक्षित प्रस्तुतिकरण दिया, गैर बचाओ वाले। उसने परमेश्वर को उसके द्वारा बोलने दिया और लोगो के हृदय को छूने दिया।
अब शताब्दियों बाद, यद्यपि मैं हमेशा ऐसा महसूस नहीं करती, फिर भी मैं उसकी पहुँच की प्रशंसा करती हूँ। बहुत लम्बे समय से मैं व्याख्या करना और हर बातें तर्क वितर्क करना चाहती थी। लेकिन जब यह काम नहीं किया तो मैं दुख से भर गई।
मैं हमेशा जानना चाहती थी, और हमेशा उत्तरों की कल्पना करना चाहती, तो परमेश्वर ने मेरे जीवन में काम करना शुरू किया। उसने मुझे दर्शाया कि लगातार मेरी कल्पनाए मेरे मन में दुविधा के कारण बनीं और बहुत से चीजें जो वह मुझे देना चाहता था, उसे पाने से रोक रखी थी। उसने कहा, ‘‘तुम्हें अपने संसारिक तर्क वितर्क को अलग रखना होगा, यदि तुम मुझ से कुछ पाना चाहते हो।'' मैं ढ़ीला अन्त नहीं चाहती थी। इसलिए जब मैं कल्पना करती थी तो मैं अधिक सुरक्षित महसूस करती थी। मै प्रत्येक परिस्थिति के प्रत्येक विवरण को अपने नियंत्रण में रखना चाहती थी। जब मैं नहीं समझती थी, या कल्पना करने में असमर्थ थी तब मैं अनियंत्रित महसूस करती थी और यह मुझे डराती थी। कुछ गलत था, मै परेशानी में थी और मेरे मन में अशान्ति नहीं थी। कभी मेरा मोह भंग हो जाता था और मैं दुविधा में रहती थी और मैं हार मान जाती।
यह मेरे लिए एक लम्बा युद्ध था, क्योंकि अन्त में मैंने स्वयं से कुछ चीजों को स्वीकार किया। परमेश्वर सब कुछ जानता है। मुझे तर्क वितर्क की लत थी। यह कल्पना करना एक इच्छा या स्वभाव से भी अधिक था। यह एक तिब्र अन्तरप्रेरणा थी। मुझे उत्तर देना ही था और तुरन्त ही देना था। अतः जब परमेश्वर मुझे अपने लत के विषय में मनवा लिया, तब मैं उसे छोड़ने के लिए तैयार थी।
यह आसान नहीं था। लोग जो नशे से या अन्य चीजों से छुटकारा पाते हैं, मेरे अन्दर भी छुटकारा पाने का लक्षण थे। मैं खोया हुआ महसूस करने लगी। मैं भयभित थी। अकेली थी। मैं हमेशा कल्पना करने के लिए अपनी योग्यता पर निर्भर रहती थी। अब पौलुस के समान मुझे परमेश्वर पर भरोसा करना था। बहुत से लोग अनुमान लगाते हैं कि परमेश्वर पर भरोसा रखना ऐसा है मानो यह सब से आसान और स्वभाविक हो, लेकिन मेरे साथ यह ऐसा नहीं हुआ। परमेश्वर मेरे साथ कृपालु और धीरजवन्त था। यह ऐसा था मानो वह मेरे कान में फुसफुसा रहा हो। जॉयस अभी तुम वहां पे नहीं हो, लेकिन तुम उन्नति प्राप्त कर रही हो। तुम जीवन जीने का एक नया रास्ता सीख रही हो, इसलिये यह असुविधाजनक है। परमेश्वर हम को विजयी बनाना चाहता है और मैं इसे जानती थी। अब मैं हमेशा से कहीं बढ़कर महान विजय में चलती हूँ। और अब कभी कार्य करने से पहले अनुमान लगाने का प्रयास नहीं करती।
‘‘स्वर्गीय पिता, मेरे साथ धीरजवन्त होने के लिए और मेरे जैसे लोगों के साथ धीरजवन्त होने के लिए जो महसूस करते हैं कि उन्हें कार्य करने से या भरोसा करने से पहले ही सब प्रकार का उत्तर चाहिए, धीरजवन्त होने के लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूँ। प्रभु यीशु मसीह की नाम में मेरी सहायता कर कि मैं तूझ पर भरोसा रखूँ, यह जान कर कि तू मेरे जीवन में सब से उत्तम देगा। आमीन।''
Scripture
About this Plan

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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