मन की युद्धभूमिSample

पानी पर चलते रहना
इस भाग में आईये हम नया नियम में एक परिचित कहानी पर ध्यान दें। शिष्यगण मध्यरात्री के समय झील के बीचों बीच थे, जब उन्होंने आँखें उठाकर यीशु मसीह को पानी पर चलते हुए देखा। यह अद्भुत है। लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढता है मत्ती लिखता है, कि प्रचण्ड आन्धी के बावजूद भी यीशु मसीह पानी पर चलता रहा। शिष्यगण डर गए थे और यह अर्थपूर्ण भी है। कौन इस बात की अपेक्षा करेगा कि किसी को पानी पर चलते हुए देखे। वो भी चाहे परिस्थितियाँ अच्छी भी हों।
तब यीशु मसीह ने जोर से उनसे चिल्लाकर कहा, ‘‘साहस करो, मैं हूँ, मत डरो।'' (पद 27) । यह काम इस कहानी का महत्वपूर्ण भाग है। अब क्या होगा? क्या वे आगे बढ़कर यीशु मसीह को नाव में स्थान देंगे? क्या वे बाहर निकलकर यीशु मसीह के साथ उस तूफान में चलेंगे? क्या वे भयग्रस्त होकर कापेंगे? और अपने आपको यह स्मरण दिलाएंगे कि मनुष्य जाति पानी पर नहीं चल सकती?
पतरस अकेला व्यक्ति था जिसने विश्वास के साथ प्रतिक्रिया दिखाई। और आईये हम यहां पर गलती न करें। पतरस का यह कहना, कि ‘‘हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।'' (पद 28)। यह पद एक अनोखे विश्वास का कार्य था। आप ध्यान देंगे कि केवल यही एक मात्र व्यक्ति था जो इस प्रकार से कहा।
यह विश्वास का एक शक्तिशाली क्षण था। यह एक ऐसा परिभाषित करनेवाला क्षण था जब यह पतरस की महान विश्वास का यीशु मसीह पर परिभाषित करनेवाला क्षण था, जो परमेश्वर का अभिषिक्त था। वह इतना अधिक कायल था कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है, कि वह नाव से उतरकर उसके साथ पानी पर चलने के लिए तैयार हो गया।
हम में से कितने लोग नाव से उतरेंगे। मैं इसलिए इस बात का वर्णन कर रही हूँ, क्योंकि यह कहना आसान होगा। प्रभु मैं तुझे पानी पर चलते हुए देखती हूँ। और मैं विश्वास करती हूँ कि मैं पानी पर तेरे साथ चल सकती हूँ। परन्तु क्या आप ऐसा कहते? क्या आपके पास इस प्रकार का विश्वास है? कि आप नाव से बाहर उतरें। बारह शिष्यों में से केवल पतरस ने ही विश्वास का यह कदम उठाया।
मैं आपको हतोत्साहित करने के लिए विश्वास के इस उदाहरण का वर्णन नहीं कर रही हूँ। या आपको यह महसूस कराने के लिये कि आपका विश्वास कहीं ना कहीं कमजोर है। मैं केवल एक मनुष्य के महान विजय को बताना चाहती हूँ जिसने विश्वास करने का साहस किया। पतरस ने इसमें दृढतापूर्वक विश्वास किया कि उसने विश्वास का कदम उठाया और नाव से बाहर निकलकर यीशु के साथ पानी पर चलने लगा।
हम में से अधिकतर लोग इस कहानी के बाकि भाग को जानते हैं। कुछ ऐसा भी कहेंगे, ‘‘बहुत बड़ी बात।'' वह नाव से उतरा, पानी पर चलने लगा और भयभित हो गया और डूबने लगा। और उसे तो यीशु मसीह से डांट पड़नी चाहिए थी। (पद 31को लिखें)। लेकिन इसके विषय में सोचिए, यीशु मसीह ने यह बात अन्य चेलों के विषय में नहीं कहा। यीशु मसीह ने ‘अल्पविश्वासी‘ शब्द पतरस के लिए इस्तेमाल किया। इसका प्रयोग यहां पर इस प्रकार से है कि अन्य लोगों में विश्वास था हि नहीं।
इन शब्दों के बारे में सोचिये कि यह केवल डांट नहीं है, परन्तु पतरस के लिए उत्साहित करनेवाले वचन है। जिसके पास नाव से बाहर उतरकर पानी पर चलने का विश्वास था। पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा तो चिल्लाकर कहा, ‘‘हे प्रभु, मुझे बचा! ‘‘(पद 30 को लिखिए)।
क्या होता यदि इसे आप यीशु मसीह के उत्साहित करने के तरीके के सम्बंध के इस समान देखते? न केवल पतरस के प्रति बल्कि आपके प्रति भी। क्या होता यदि आप इस प्रकार से देखते मानो यीशु आपसे पानी पर चलते रहना कह रहा हो, ‘‘तूने बहुत अच्छी शुरूवात की, तू ने मुझ पर बहुत अच्छी विश्वास किया, और नाव से बाहर निकाला, तू ने ऐसा किया? तू पानी पर चला, जैसा मैं चला। तब तू ने शंका को मन में घूसने दिया, और जब ऐसा हुआ तो तू डूबने लगा।''
यह शक्तिशाली कहानी एक अद्भूत स्मरण सूचक है कि यीशु हमेशा आपके साथ है और वह प्राकृतिक नियमों को रोक सकता है और वह आपको संभाल सकता है।
‘‘प्रभु यीशु, मेरे विश्वास की कमी को आप क्षमा कीजिए। आपके वचन में मेरे विश्वास को बढ़ाइये, और आपके मार्गदर्शन में चलने के लिए मुझ में पर्याप्त भरोसा जगाने में सहायता कीजिए। जब मुझे मेरे चारो ओर की परिस्थितियाँ मुझे शंका के गहरे पानी में डूबाना चाहें, तो आपकी ओर दृष्टि करने में मेरी सहायता करें। मैं इन बातों को आपके पवित्र नाम में माँगती हूँ। आमीन।।''
Scripture
About this Plan

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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