परमेश्वर प्रगट हुए- नये नियम की एक यात्रा भाग 4 - प्रकाशित वाक्य, अंतिम सीमाSample

परमेश्वर के पत्र
जब कलीसिया ने परमेश्वर के लोगों की अगुवाई को यहूदियों से अपने हाथ में ले लिया,तब शैतान की सेनाएं उसके विरूद्ध खड़ी हो गयीं। एक के बाद एक वे परमेश्वर के चुनों हुओं को घात करने लगीं। प्रेरित यूहन्ना को,सजा के तौर पर कठिन परिश्रम करने के लिए पतमुस नामक टापू पर भेज दिया गया,जहां उसने दुश्मन का सामना करने के लिए अपनी सेनाओं को तैयार करने वाले संदेशों के साथ मसीह का एक दर्शन देखा।
7 अंक का इस्तेमाल कलीसियाओं,तारों और दीपकों के लिए किया गया। जो सिद्धता या पूर्णता को दर्शाता है। इसमें सारे युगों की कलीसियाएं समा जाती हैं। अध्याय 2और अध्याय 3 में त्रिएक परमेश्वर द्वारा लिखित (प्रकाशित वाक्य1:4-5)ये पत्र हमारे लिए आज परमेश्वर की ओर से संदेश हैं।
हम आज कई झूठे विश्वासियों को कलीसिया में सैक्स,धर्म,राजनीति,धन इत्यादि जैसी बातों को लाते हुए देखते हैं।
भले ही कलीसिया को नष्ट कर दिया गया हो,लेकिन दूसरी ओर हम हर कलीसिया में जयवन्त लोगों को पुरूस्कार पाते हुए देखते हैं। यहां पर प्रकाशित वाक्य में निहित 7कलीसियाओं का संक्षिप्त वर्णन किया गया है।
इफिसुस का अर्थ है “मनचाहा” । यह कलीसिया परिश्रमी,धीरजवन्त,बुराई से घृणा करने वाली और झूठे प्रेरितों को परखने वाली है। लेकिन यह कलीसिया अपने पहले प्रेम को भूल चुकी है और उसका यह दोष उसके पतन के लिए पर्याप्त है।
स्मुरना का अर्थ,“लोहबान-मृत्यु”। यह कलीसिया गरीब होकर भी समृद्ध थी,उसने बदनामी,परीक्षाओं,क्लेशों और मृत्यु का सामना किया। स्मुरना के बिशप पौलीकार्प को गिरफ्तार किया गया और उन्हें लोगों के सामने आग में जलाकर मार दिया गया।
पिरगमुस का अर्थ है“मिश्रित विवाह” । यह कलीसिया समझौता करने वाली कलीसिया थी। हालांकि उन्होंने शहीद होने तक मसीह के नाम को मज़बूती से पकड़ रखा था,फिर भी उनमें कमी थी। उनके बीच में बिलाम, निकुलियों की शिक्षाएं विद्यमान थीं और वे यौन अनैतिकता में लिप्त थे।
थुआतीरा का अर्थ “नियमित त्याग”। इस कलीसिया में प्रेम,विश्वास,सेवाभाव और धीरज था और उसके पिछले काम पहले से बढ़कर थे। वे शैतान की गहरी बातों को नहीं जानते थे। लेकिन यह कलीसिया इज़बेल की शिक्षाओं अर्थात व्यभिचार को सहती थी।
सरदीस, का अर्थ है “छुड़ाए हुए”। इस कलीसिया में बहुत से लोगों ने अपने वस्त्रों को अशुद्ध नहीं किया है जबकि बहुत से लोग जीवित तो कहलाते हैं लेकिन मरे हुए हैं। उन्होंने परमेश्वर के निकट अपने कामों को पूरा नहीं किया है।
फिललिदफिया का अर्थ है, “भाईचारे का प्रेम”। इस कलीसिया की सामर्थ्य थोड़ी है,लेकिन इसने परमेश्वर के वचनों का पालन करते हुए मसीह के नाम का इनकार नहीं किया।
लौदिकिया का अर्थ है “सामान्य जन की शक्ति”। यह कलीसिया पूर्ण रूप से नकारात्मक थी। यह गुनगुनी कलीसिया थी अर्थात न तो गर्म और न ठण्डी,उन्हें लगता था कि वे समृद्ध,धनी हैं और उन्हें किसी चीज़ की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन वह अभागिन,तुच्छ, कंगाल और अंधी और नंगी है। प्रकाशित वाक्य 3:20 में यीशु मसीह की दुःखद तस्वीर प्रस्तुत की गयी है जिसमें वह कलीसिया के द्वार पर खड़े होकर खटखटा रहे हैं।
सभी 7 कलीसियाएं अंततः नष्ट हो जाती हैं। क्या हम वैश्विक कलीसिया कोविफलता के लिए इसे जिम्मेदार ठहरा सकते हैं, क्या हम कह सकते हैं कि विजेताओं ने वास्तविक कलीसिया का निर्माण किया,अर्थात क्या उन्होंने मसीह की दुल्हन,परमेश्वर के राज्य की शुरूआत की? लेकिन हम स्पष्ट रूप से यह अवश्य जानते हैं कि केवल मसीह ही अपने लोगों की अगुवाई करने में सक्षम हैं (प्रकाशित वाक्य 5 :12)
आज हम किन तरीकों से अपनी कलीसियाओं में भी समान लक्षणों को देखते हैं? हम कलीसिया व संसार को किस प्रकार सकारात्मक ढंग से प्रभावित करके “विजेता” बन सकते हैं?
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संसार का अन्त कैसे होगा? भविष्य कैसा होने जा रहा है? बाइबल की सबसे रहस्यमय मानी जाने वाली पुस्तक, जिसे भविष्य के दृष्टिकोण से सबसे स्पष्ट माना जाता है,प्रकाशितवाक्य की पुस्तक है। यदि हम विभाजित व पदभ्रष्ट करने वाले विचारों में न फंसे तो, इसमें एक योजना को सरल और स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।
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