धन्यवाद से परिपूर्ण जीवन जीना Sample

जैसा कि हम समझ गए हैं,मसीहीजीवन को जानबूझकर धन्यवाद देने के द्वारा चिह्नित किया जाना चाहिए। प्रत्येक मसीह-अनुयायी के लिए लगातार जाँच और अपनी कृतघ्नता की भावना में प्रहार करना एक महत्वपूर्ण अभ्यास है। कृतघ्नता का पता लगाने वाली सूची को फिर से देखें और अपनी गलत भावनाओं,बातों और कार्यों के साथ तर्क करें।
एक बाइबल के चश्मे कि सहायता से अपनी कृतघ्नता की जांच करके इस से लड़ें। प्रेरित पौलुस पूछता है,“तेरे पास क्या है जो तू ने (दूसरे से) नहीं पाया?”(१कुरि. ४:७)। उफ़! कुछ भी नहीं जो मैंने अर्जित किया है या जिसके योग्य मैं हूं—वह हमारी कृतघ्नताको घिसता औरहमेंनम्र बनाना है।
क्या आप अधिकारी महसूस करते हैं?धर्मशास्त्र के दृष्टिकोण से उस मनोवृत्ति कि जांच करें। अगर हम सभी को वह मिल जाता जिसके हम वास्तव में हकदार थे,तो हम में से कोई भी जीवित नहीं होता। केवल एक चीज जिसके हम हकदार हैं,वह है अनन्त नरक में फेंक दिया जाना। पिछले कुछ वर्षों में,मैंने युद्धग्रस्त,रोगग्रस्त,अकाल पीड़ित देशों के पादरियों से बहुत कुछ सीखा है जो हमारे सम्मेलनों में उन्हें जीवित रखने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं! जैसे कि मैं गर्मी में और लंबे घंटों तक प्रचार करता था,वे उन्हें जगाने और सतर्क रखने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद करते थे। इन ईश्वरीय संतों के बारे में सोचें जिन्हें अभी तक अपनी वफादारी के लिए बहुत अधिक पुरस्कार नहीं मिले हैं (विशेषकर यदि हम केवल भौतिक पुरस्कारों के बारे में सोच रहे हैं)। उन्हें स्वर्ग का बहुत कम पक्ष प्राप्त हो सकता है। मैं पूरी दुनिया में उन लोगों द्वारा विनम्र होताहूं जो अधिक कठिन परिस्थितियों में भी मेरी तरह कड़ी मेहनत करते हैं,मगरउनकेपास कभी भी उतना नहीं होगा जितना मेरे पास है।मैं सदा आभारी हूँ,क्योंकि वास्तव में मेरे बड़े परिवार के इन संघर्षरत भाइयों और बहनों से कम मेरे पास होने चाहिए था।यह वास्तविकताकिसीभी अधिकार कि भावना को कुचलतीहै।
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About this Plan

जीवनदाता और सभी आशीषों पर अपनी निर्भरता पर विचार करते हुए डॉ.रमेश रिचर्ड के साथ हुए सात दिन बिताएं। वह RREACH के अध्यक्ष और डालास थियोलोजिकल सेमिनरी के आचार्य हैं ,जो पासबान के दृष्टिकोण को रखते हुए बताएंगे कि जीवन में कृतज्ञता का कैसे अभ्यास करना चाहिए। आइए हम अपने पास पाई जाने वाली चीज़ों और सभी ज़रूरी चीज़ों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद व उस पर भरोसा करें।
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