केवल यीशुSample

केवल यीशु- पापियों का दोस्त
यीशु सभी का दोस्त था लेकिन वह खास तौर पर उनका दोस्त था जिन्हें संसार में तुच्छ, गुनाहगार समझा जाता या नज़रअन्दाज़ किया जाता था । ऐसा प्रतीत होता है कि उसने उन्हें जानने के लिए अकेले ही उन्हें ढूंढ़ा। उसने यह कार्य ज्यादातर उनके घर पर मेहमान के रूप में जाकर या उन जगहों पर मिलकर भोजन खाकर किया जहां वे ज्यादातर मिला करते थे या फिर उनके साथ बात करने में समय बिता देने के द्वारा किया। यीशु केवल उन लोगों के साथ नहीं मिलते थे जो उसके समान विचारधारा के थे या जिनके साथ सार्वजनिक तौर पर दिखाई देने से उसकी प्रतिष्ठा को कोई खतरा नहीं होता था। अगर हम यह बात करें कि वह किन लोगों से मिलते थे तो इसकी कोई सीमा या कोई दायरा नहीं था। अगर कहा जाए तो वह वास्तव में पापियों का मित्र था। आज दिये गये तीन हवालों में यदि हम देखें तो हम देख पाते हैं कि प्रभु यीशु इस संसार के तुच्छों और अछूत या अयोग्य समझे जाने वाले लोगों पर अपना प्रेम प्रगट कर रहे हैं और उन्हें अपने गले लगा रहे हैं। और सबसे मजे़ की बात यह है कि हम में से हर एक जन पापी है जैसा कि हम रोमियों 3:23 में भी देख सकते हैं, और इस तरह हम बिना किसी रोक के मसीह के दोस्त बन सकते हैं।
जब उसकी मुलाकात व्यभिचार में पकड़ी स्त्री के साथ हुई तो उसकी प्रतिक्रिया बिल्कुल अनोखी थी। उसने उस स्त्री से कोई प्रश्न नहीं पूछा वरन उसने दोष लगाने वालों से यह कह कर पूरा ध्यान उनकी तरह फेर दिया कि “तुम में से जो भी निष्पाप हो वही पहला पत्थर मारे।” और उसने उस स्त्री की तरफ देखने से पहले अपनी बात को लोगों दिमाग में बैठ जाने के लिए समय दिया, और जब वह ही अकेला रह गया, तब उसने जीवन बदलने वाली पंक्ति बोली। “ जा मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता, जा, फिर पाप मत करना।” क्या यह अद्भुत नहीं है कि कितनी कृपा के साथ यीशु ने न सिर्फ उस स्त्री को वरन उस पर आरोप लगाने वालों को भी क्षमा किया। नैतिकता के आधार पर देखा जाए तो केवल यीशु ही सम्भवतः उन सभी को दोषी ठहरा सकते थे लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। केवल यीशु ही किसी को इतनी आसानी और प्यार से कायल या निरूत्तर कर सकते थे।
यूहन्ना 9 में,यीशु ने एक जन्म के अन्धे को चंगा किया और उस चंगाई के बाद यहूदियों ने यह फैसला किया कि वे उस व्यक्ति से और उसके माता पिता से पूछताछ करेगें क्योंकि वे यह मानते थे कि वह व्यक्ति अपने या अपने माता पिता के पापों की वजह से अंधा पैदा हुआ था। उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं था कि परमेश्वर किसी “पापी” की भी बात सुन सकते हैं । यीशु यह कहते हुए अपने चेलों की धारणा को ठीक करते हैं कि वह व्यक्ति न तो अपने और न ही माता पिता के पापों की वजह से अंधा है वरन वह इसलिए कि उसके जीवन में परमेश्वर की महिमा प्रगट हो सके ।
उस दिन चेलों की सोच में कितना बड़ा बदलाव आया होगा । जब हम दूसरों के संघर्षों और असफलताओं को देखते हैं तो हमें भी अपने नज़रिये को बदलने की जरूरत होती है । अगर हमें किसी व्यक्ति की परिस्थिति या उसकी पृष्ठभूमि के बारे में नहीं पता है तो हमें कोई कठोर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। यीशु ने यह जानते हुए भी उस अंधे व्यक्ति पर तरस खाया कि उसे चंगा करने के बाद में उसका परिणाम क्या होगा।
लूका 19 में,यीशु ने यरीहो में प्रवेश किया और एक गूलर के पेड़ पर देखा और ऊपर बैठे एक नाटे, चुंगी लेने वाले को नाम लेकर बुलाया और उसके घर जाने का प्रस्ताव रखा। उस शाम को,यीशु की मेहमान दारी करते हुए जक्कई खड़ा हुआ और वहां मौजूद लोगों के सामने उसने घोषणा की कि उसने लोगों से जितना भी अन्याय के साथ कमाया है वह उसका 4 गुना वापस कर देगा । यीशु ने उससे कोई भी ऐसी बात नहीं कहीं जो हमारे हिसाब से किसी को समझाने के लिए कही जाती है । हमें केवल इतना ही पता है कि यीशु का ध्यान एक नाटे व्यक्ति पर गया जो एक पेड़ की डाली पर बैठकर बड़ी उत्सुकता के साथ उसे देख रहा था और यीशु उसके साथ रिश्ता कायम करने के लिए उसके साथ घर गये ।यीशु द्वारा सच्चाई के साथ उस में रूचि लेने के कारण जक्कई अपने घुटनों पर आ गया और उसने पश्चाताप किया।
आज, जरा सोचकर देखें कि आप किसी जन को किस प्रकार बिना दोष लगाये बेहतर ढंग से प्रेम कर सकते, उस पर तरस खा सकते और अगर आप किसी को हाल ही में मिले हैं तो उसे जानने के लिए कैसे समय निकाल सकते हैं। हो सकता है कि आप ही उनके लिए यीशु का चेहरा बन जाएं ।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, आप हमारी सहायता करें कि हम पापियों के वरन हमारे जैसे पापियों के मित्र बन सकें । मैं प्रार्थना करता हूं कि हम जिस किसी से मिले उसके लिए यीशु का चेहरा बन जाएं। हम आप से प्रेम करते हैं और आपका धन्यवाद करते हैं। यीशु के नाम में मांगते हैं, आमीन।
About this Plan

इस दुविधाजनक समय में मसीह को और गहराई से जानने और इस अनिश्चित समय में भय से बढ़कर भरोसा करने का चुनाव करें। हम विश्वास करते हैं जब आप इस योजनाबद्ध अध्ययन का अनुपालन करेगें तो आप भविष्य में एक नये आत्म विश्वास के साथ प्रवेष करेगें, फिर चाहे रोज़मर्रा की परिस्थितियां जैसी भी हों।
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