योना की संस्कृति को तोड़नाSample

इस संस्कृति को अपने संसार तक ले जाना।
जब हम दूसरों के साथ मिलजुलकर रहने, तरस खाने वाले तथा निःस्वार्थ होने के बारे में सोचते हैं तो लोगों के साथ मिलना और लोगों की पृष्ठभूमि, उनके रूप या उनके व्यवहार की चिन्ता किये बिना उनसे जुड़ना आसान हो जाता है । हम एक दूसरे में समानता पाते हैं और हम जानते हैं कि प्रेम रास्ता निकाल ही लेता है । आज कल प्रेम को सबसे ज्यादा तुच्छ जाना जाता और सबसे ज्यादा बोला जाने वाला शब्द है लेकिन इसका असल में मतलब क्या है ? प्रेम प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने वाला शब्द है- जिसका अर्थ होता है कि हम केवल शब्दों में ही नहीं कहते कि हम प्रेम करते हैं लेकिन हम अपने कामों के द्वारा उसे करके दिखाते हैं । लोगों की सेवा करना, लोगों के साथ भद्र व्यवहार करना और एक मील अतिरिक्त चलना उस प्रकार के प्रेम को प्रगट करता है । जिन लोगों को प्रेम करना मुश्किल है उन्हें प्रेम करना, जिनके बारे में सोचना भी अच्छा नहीं लगता उन्हें क्षमा करना और जो हम में द्वेष निकालते और हमारे विचारों और स्वभाव के विरूद्ध जाते हैं । हालांकि यह परमेश्वर की सहायता से असम्भव नहीं है हम उसके प्रेम से दूसरों को प्रेम कर सकते हैं । यह संस्कृति या आचरण केवल कलीसिया तक ही सीमित नहीं रह सकता वरन् इस स्वभाव ने हमारे जीवन में घर कर लेना है ताकि हम चाहे बोर्ड रूम में, स्टूडियों में, परिसर में, हमारे व्यायाम शाला या हमारे स्पा में हों यह स्वभाव हमारे भीतर प्रगट होने पाये । बहुत से लोग हमारे भीतर ही यीशु की पहली झलक देखेगें । होने दें कि उसका पहला प्रभाव ही इतना अच्छा हो कि वह लोग उसे पाना या देखना चाहें । उसे और ज्यादा पाना चाहें ।
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योना की पुस्तक एक ऐसा महान रास्ता है जिसके द्वारा हम बाइबल में दर्पण के समान अपने जीवन का अध्ययन कर सकते और हमारे छुपी हुई धारणाओं और गलतियों का पता कर सकते हैं और इसी बीच में हम यह भी पता लगा सकते हैं कि जिस स्थान पर परमेश्वर ने हमें रखा है उस क्षेत्र में हम परमेश्वर की सेवा कैसे कर सकते हैं ।
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