मन की युद्धभूमिSample

तैयार मन
मेरा एक मित्र जिसकी बहुत सी किताबें प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने लेखकों के एक सम्मेलन में कुछ कक्षाएँ लिखी, किस प्रकार से लेखन शुरू किया जाय। वह उन लोगों तक पहुँचना चाहता था, जो महसूस करते थे कि परमेश्वर ने उन्हें लिखने के लिये बुलाया है। और उन्हें बताया कि किस प्रकार से वे अपने लेखों को, और किताबों को प्रकाशित करवा सकते हैं।
प्रारम्भ में उसने लोगों से पूछा कि वे कितने समय से लिख रहे हैं। और क्या कभी उनकी रचना प्रकाशित हुई है। दो महिलाएँ जो आगे की पंक्ति में बैठी थीं, दोनो नें कहा कि वे लगभग बारह वषोर्ं से लिख रहीं हैं, लेकिन उनकी कोई रचना अभी तक प्रकाशित नहीं हुई थी।
पहले कक्षा के बाद, उसने एक महिला को दूसरे महिला को कहते सुना, कि हम इन सब बातों को जानते हैं, हमें इन कक्षाओं की आवश्यकता नहीं है।
हो सकता है वे इन बातों को जानते हों जो बातों को सीखा रहे थे, लेकिन इस बात को कोई प्रमाण नहीं था कि जो वे जानते थे उस पर उन्होंने अमल भी किया था। उसने यह भी कहा कि कक्षा के सबसे उत्सुक छात्र वे थे जिनकी रचना प्रकाशित होना शुरू हो गई थी। वे और सीखना और अपना लेखन शैली को सुधरना चाहते थे। केवल वे लोग जो नम्र हैं और अधिक सीखना चाहते हैं वे ही सफल होते हैं।
यह घटना मुझे प्रेरितों के पुस्तक की एक घटना याद दिलाती है। प्रेरित पौलुस और सिलास ने थिस्सलुनिकियों में प्रचार किया और लोगों ने उन्हें मार डालना चाहा। इसलिए विश्वासियों ने उन्हें वहाँ से निकलने के लिये सहायता किया। वहाँ से वे बिरिया को गये। लूका लिखता है, कि वहाँ के लोग सोच विचार में शुद्ध थे। वे पूरी तैयारी के साथ सन्देश को ग्रहण किए, या फिर, जैसे मैं कहती हूँ उनके पास तैयार मन था।
इसका तात्पर्य यह है, कि वे ऐसे लोग थे जो परमेश्वर के लिये खुले हुए थे। परमेश्वर जो कहता है, उसे सुनने के लिए वे तैयार थे। चाहे वह भली बात हो या बुरी।
यदि मैं मसीहियों के किसी समूह से पूछूँ, ‘‘क्या आपके मन तैयार हैं?'' तो वे तुरन्त कहेंगे कि हाँ वे तैयार हैं। अब एक मसीही से यह उम्मीद या अनुमान लगाते हैं, कि वे तैयार और खुले हृदय वाले और परमेश्वर से डरनेवाले और जो कुछ वह कहता है उसे मानने के लिये आज्ञाकारी लोग हों।
बहुत से लोगों के लिये तैयार मन का मतलब हैं, वे खुले और तैयार हैं यदि वह सुनाई जाए जो वे सुनना चाहते हैं। वे थिस्सलुनिके के लोगों के समान सन्देश बाहक को मार डालना नहीं चाहते हैं। परन्तु वे कहते हैं हम यह सब जानते हैं और सुनना बन्द कर देते हैं।
तैयार मन होने का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है शैतान के प्रत्येक धोखे और झुठ से फिरने के लिये इच्छुक और तैयार। इसका तात्पर्य है, यह कहने के इच्छुक, कि मैं गलत था। इसका तात्पर्य है, कि केवल जो सुनना चाहते हैं उसकी तरफ ही कान लगाने के बदले हमें जो सुनने की जरूरत है उसे सुनना।
तैयार मन का मतलब है, आवाज के श्रोत को परखना। हम उन शब्दों को सुनना चाहते हैं जो हमें भला लगता है और प्रोत्साहित करता है। लेकिन हम उन शब्दों को सुनना नहीं चाहते जो हमें खराब लगतें हैं, या फिर हमारे कमजोरियों को बताते हैं। हमारे मनों के लिये शैतान के युद्ध में, उसकी एक चाल यह है कि वह हमें कायल करता है, कि यह सन्देश हमारे लिये महत्वपूर्ण नहीं है या हम इसे पहले से जानते हैं। हम यहाँ से कह सकते हैं कि यह सन्देश सही नहीं है और इस प्रकार से कहने के द्वारा वह हमें सन्देश सुनने से रोकता है, जो हमें वास्तव में छुटकारा पाने के लिये जानने की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिये—एक दिन एक पास्टर ने ‘गप्पे मारने‘ के विषय में प्रचार किया। उसने अपने सन्देश को एक महिला पर लक्ष्य किया जो दूसरे लोगों के बारे में बताने में आनन्द महसूस करती थी। वह जो नहीं जानती, वह अपनी कल्पनाओं में पूर्ण होने देती थी। आराधना के अन्त में उसने पास्टर से कहा, ‘‘यह एक अदभुत सन्देश था।'' इस कलीसिया के बहुत से लोगों को यह सुनने की आवश्यकता है।
पास्टर ने कहा कि वह महिला पाखण्डी नहीं थी। उसने सन्देश प्राप्त नहीं किया। उसके पास तैयार मन नहीं था। एक ऐसा मन जो परमेश्वर के अनुग्रह और सहायता का सन्देश पाने के लिये तैयार हो। ऐसा कभी नहीं लगा कि उसे इस सन्देश की आवश्यकता है। एक तैयार मन पाना हमेशा आसान नहीं होता है। वास्तव में पवित्र आत्मा जितनी गम्भीरता के साथ हमसे व्यवहार करना चाहता है, शैतान उतना ही हमें गायल करता है, कि हम इन सब बातों को पहले से ही जानते हैं, या फिर इन्हें हमें सुनने की आवश्यकता नहीं है।
‘‘प्रभु यीशु, कृपया मुझे तैयार मन दें। मेरी सहायता कर कि मैं, तुझे स्पष्ट और आसानी से सुन सकूँ। तुझसे हाँ कहने के लिये मेरी सहायता कर चाहे पवित्र आत्मा मुझे कुछ भी कहे। मुझे एक तैयार मन चाहिए जो हर बात में तुझे आनन्द देता हो। मैं यह तेरे नाम में माँगता हूँ। आमीन।।''
Scripture
About this Plan

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
More
Related Plans

Expansive: A 5-Day Plan to Break Free From Scarcity and Embrace God’s Abundance

Presence 12: Arts That Inspire Reflection & Prayers

For the Love of Ruth

Horizon Church August Bible Reading Plan: Prayer & Fasting

Overcoming Spiritual Disconnectedness

Unapologetically Sold Out: 7 Days of Prayers for Millennials to Live Whole-Heartedly Committed to Jesus Christ

Principles for Life in the Kingdom of God

RETURN to ME: Reading With the People of God #16

Raising People, Not Products
