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मन की युद्धभूमिSample

मन की युद्धभूमि

DAY 27 OF 100

बुरे पुर्वाभास

जब मैंने गम्भीरता पूर्वक बाइबल का अध्ययन करना प्रारम्भ किया, मैंने अपने चारों ओर एक दबावपूर्ण वातावरण महसूस किया। सब कुछ उबाउ सा लग रहा था। मानों कुछ बुरा होनेवाला हो। मैं इसकी व्याख्या नहीं कर सकती थी। परन्तु कुछ बुरा या कुछ गलत होनेवाला हो ऐसा लग रहा था।

हे परमेश्वर, मैंने प्रार्थना किया। क्या चल रहा है? यह क्या भावनाएँ है?

मैंने यह प्रश्न पूछा, कि परमेश्वर ने मुझ से बात किया। बुरा पूर्वाभास।

मुझे कई क्षण तक मनन करना पड़ा। मैने ऐसी शब्द पहले कभी नहीं सुनी थी। परमेश्वर ने मुझ से बात किया, और मैं उसके सामने शान्त रही ताकि उसके उत्तर को सुन सकूँ।

सब से पहले मैं इस बात को समझी कि मेरी चिन्ताएँ वास्तविक नहीं थी। अर्थात वे वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित नहीं थी। मेरी समस्याएँ थी, जैसे हम में से अधिकतर के साथ होता है। स्थिति इतनी बुरी नहीं थी, जितना शैतान उसे दर्शा रहा था। उसके झुठ के प्रति मेरी स्वीकार्यता, भले ही वे धोखे की थी, वे बुरा पुर्वाभास के लिए द्वार खोल रही थी। क्यों अपने जीवन के अधिकतर दिनों इसी प्रकार के उबाऊ वातावरण में रही थी। मैं कुछ भला होने की उम्मीद करने की  जाय कुछ बुरा घटने की अपेक्षा कर रही थी।

मैं भयभीत महसूस करने लगी और अपने चारों ओर देखी। अजीब सी व्याकुलता महसूस की। मैं किसी भी चीज पर अपने अंगुली नहीं रख सकती थी। केवल वह बुरा या भयानक चीज का भय व्याप्त था।

बाइबल का एक अनुवाद कहता है, जब एक मनुष्य उदास हो और सब कुछ बुरा दिखे, इसी प्रकार मैंने भी महसूस किया। मानो सब कुछ गलत था और गलत होनेवाला था।

जैसे मैंने पहले कहा, मैंने महसूस किया कि मेरे जीवन के अधिकतर दिन, मैं कष्ट में थी। क्योंकि बुरे विचार और व्याकुल चिन्ताए मेरे ऊपर हावी थी। 

जब मैंने लगातार बुरे पुर्वाभास पर ध्यान लगाया, परमेश्वर ने मुझे एक स्पष्ट प्रकाशन दिया। मैं इसलिये दुरूख में थी क्योंकि मेरे विचार दुखदायी थे। मेरे विचार मेरे बाहरी दृष्टि को जहरीला बना रहे थे। मेरी चिन्ताओं ने मेरे जीवन के आनन्द को मुझ से छीन लिया। मुझे ऐसा कहना चाहिए था, परमेश्वर आज के लिए तुझे धन्यवाद। मेरे और मेरे पति के लिए भी धन्यवाद। मेरे मित्रों, बच्चें और सारे आशीषों के लिए धन्यवाद। किन्तु सकारात्मक होने के बजाय मैं फोन का उत्तर देने से भी डरने लगी। जब वह बजती थी तो मैं किसी बुरे समाचार का इन्तजार करती।

यह सारा उबाऊ और उदासी भरा वातावरण मेरे चारो ओर था। मेरे बचपन से यही प्रारम्भ हो गया था। मैंने कहीं बुरे व्यवहार देखे और मेरे जीवन के अधिकांश दिन नाखुशी में व्यतीत हुए, जिसमें निराशाए गहरी थी। मैं एक भय के कुहासे में और भविष्य के अनिश्चिन्ता में जीने लगी। पीछले बातों को छोड़कर आगे बढ़ना मुझे नहीं सिखाया गया था। मेरे पास जो अब था उसमें मैं आनन्दित नहीं हो सकी थी, और जो भली बात भी मेरे जीवन में हो रही थी। मैंने अपना ध्यान भूतकाल की ओर केन्द्रित किया और वे झुठ जो मेरे आगे थे और आगे उबासी और उदासी भरा जीवन था, क्योंकि मैं इसी की अपेक्षा कर रही थी। शैतान मेरे मन पर एक दृढ़ गढ़ बना लिया था और मैं तब तक इसमें बन्दी रही जब तक मैंने नकारात्मक बातों को गिरा कर नाश न कर दिया। वह बुरा दृढ़ गढ़ काश मैंने अपने जीवन के परिस्थिति और परमेश्वर के वचन का उपयोग करके किया।

एक बार मेरी मित्र थी जिसे मैं मार्लिन कहती हूँ, वह एक लगातार भय में जीती थी। एक दिन उसे स्वास्थ सम्बन्धी समस्या हुई। अगले दिन उसके पुत्र ने नौकरी खो दिया और वे उसके और उसके परिवार का समाधान करने जा रहे थे। जैसे यह खत्म होता, तो अगली परिस्थिति पैदा हो जाती। मार्लिन एक मसीही थी। लेकिन वह बुरे समाचार के डर में जीती थी। मार्लिन नहीं जानती थी कि एक ऐसा जीवन कैसे जीया जाए जिसमें भय न हो। उसके सारे बातचीत नकारात्मक और उबाऊ होते थे। यहाँ तक कि उस से मुलाकात भी उबाऊ और उदासी भरा हुआ होता था।

मैंने महसूस किया कि मैं भी इस मार्लिन जैसा बनना प्रारम्भ करचुकी थी। मेरी दशा बहुत बुरी हो गई थी क्योंकि मैंने शैतान को अनुमति दिया था, कि वह मेरे जीवन के आनन्द को भोगने की योग्यता को चुरा ले। सकारात्मक रूप से समय बिताने से पहले अधिकांश समय व्यतीत हो चुका था, परन्तु थोड़ा थोड़ा करके मेरी सोच बदलती गई, और इसी प्रकार मेरा जीवन भी। मैं अब किसी बुरे पुर्वाभास में नहीं जीती हूँ, कि कोई भी क्षण कोई बुरा समाचार आ सकता है। अब मैं अच्छी बातों का समाचार सुनना चाहती हूँ, जो मेरे जीवन में हो। अब मैं महसूस करती कि मैं अपने विचारों को चुन सकती हूँ। मुझे शैतान के झुठ को सुनने की आवश्यकता नहीं है।

अन्य लोगों के समान मेरे साथ भी नकारात्मक बातें होती हैं, परन्तु मैं नकारात्मक नहीं बनती हूँ। मैं सकारात्मक बनी रहती हूँ, और यह मेरी सहायता करता है कि मैं जीवन की आनन्द को भोगूं, चाहे कितनी भी आन्धी तुफान आए।

‘‘हे प्रभु, यीशु, मेरे जीवन के बहुत दिन बुरे पुर्वाभास के द्वारा मेरे जीवन के आनन्द को और सन्तुष्टि को चुरा लिया गया है। जब वे विचार मेरे पास आते हैं, कृपया मुझे याद दिलाए कि आप उन चीजों पर नियंत्रण करते हैं। आप में विश्राम पाने के लिए, और अपने जीवन आपके सामर्थ पाने के लिए मुझे सहायता करें। आमीन।''


About this Plan

मन की युद्धभूमि

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .

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