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क्लेशों में परमेश्वर की वाणी सुनना Sample
परमेश्वर की वाणी को कैसे सुनें
ऐसे संसार में जहां पर हमारे ध्यान को आकर्षित करने के लिए बहुत सी चीज़ों की होड़ लगी हो, परमेश्वर के लोगों के लिए यह चुनौति है कि सारी आवाज़ों से बढ़कर एक आवाज़ को प्राथमिकता देंः ‘जिसके पास कान हो वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता हैं (प्रकाशितवाक्य 3:22)।
हम किस प्रकार से परमेश्वर की आवाज़ को पहिचान सकते हैं और उससे संसार का ध्यान भंग करने वाली चीज़ों के बीच में हमारे जीवन को आकार देने का अधिकार दे सकते हैं?
1.पढ़ें। सबसे मुख्य तरीका जिसके द्वारा परमेश्वर मुझसे बातें करते हैं वह बाइबल है। उसी के द्वारा पहली बार मेरी मुलाकात यीशु के द्वारा हुई थी। जब मैं बाइबल को पढ़ता हूं तो मुझे लगता है कि मानों मेरी आत्मा को भोजन खिलाया जा रहा है। यह आज भी वह प्रमुख तरीका है जिसके द्वारा मैं परमेश्वर की आवाज़ को सुनता हूँ।
2.सुनें। जिस तरह हनोक परमेश्वर के साथ चलता था - उसी प्रकार मैं भी प्रतिदिन हेड पार्क के चारों ओर परमेश्वर के साथ घूमना पसन्द करता हूँ। इस सैर के दौरान, मैं परमेश्वर से पूछता हूँ कि वह मुझसे क्या कहना चाहते हैं, और फिर मैं उनकी बातों को ध्यान से सुनता हूँ।
3.सोचें। परमेश्वर ने हमें दिमाग दिया है, और वह हम से प्रायः हमारे मन और हमारे तर्कों के द्वारा अगुवाई करते हैं। जब हम किसी विषय पर विचार कर रहे होते हैं या जिस समय पर हम कोई बड़ा निर्णय ले रहे होते या मार्गदर्शन की आवश्यकता में होते हैं, उस समय पर वह हमारी अगुवाई करते हैं।
4.बोलें। उन लोगों से बातचीत करें जिन्हें परमेश्वर ने आपके जीवन में रखा है। मेरे जीवन में प्रायः अनदेखे क्षेत्र होते हैं, अर्थात ऐसे क्षेत्र जिन्हें मैं देख नहीं सकता हूं। लेकिन जब आप दूसरों के साथ होते हैं, तब वे आपके अनदेखें क्षेत्रों को देख पाते हैं और आपकी अधिक स्पष्टता से देखने में मदद करते हैं। परमेश्वर हम से कलीसिया के लोगों के द्वारा बातें करते हैं।
5.देखें। परमेश्वर का हर चीज़ पर नियन्त्रण है, और वह सिंहासन पर विराजमान है। वह दरवाज़ों को बन्द करने तथा दूसरे दरवाजों को खोलने में सक्षम है, और वह हमारी परिस्थितियों के द्वारा हमारी अगुवाई करने में योग्य है। भजन संहिता 37:5 में लिखा है,‘अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख,वही पूरा करेगा।’ अतः जब आप कोई निर्णय ले रहे हों, तब आप कह सकते हैं, ‘प्रभु,यह आपके हाथों में है। मैं आप पर भरोसा करता हूँ। और फिर उसके काम करने की प्रतीक्षा करें।
अतः, परमेश्वर आज कलीसिया को कौन सा दर्शन दे रहे हैं?
आजकल, हम डिजीटल क्रान्ति में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जिससे लोगों को इतनी आसानी से सुसमाचार सुनने को मिल जा रहा है जैसा पहले कभी नहीं मिला था। मैं सोचता हूँ कि यह कलीसिया के लिए यीशु की घोषणाओं को पूरा करने के लिए एक महान अवसर है। लूका 4:18-19 में,यीशु ने यशायाह 61 में लिखे वचनों का इस्तेमाल किया जिसमें लिखा है, "प्रभु का आत्मा मुझ पर है,इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बन्दियों को छुटकारे का और अंधें को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूँ और कुचले हुओं को छुड़ाऊँ, और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूँ।" यह यीशु का घोषणा पत्र है, और हमें कलीसिया के रूप में यही करने के लिए बुलाया भी गया है।
यीशु के घोषणा पत्र में तीन मुख्य विषय हैं,जो हमारे संसार की पुनःकल्पना करने में हमारी मदद कर सकते हैंः जाति जाति के लोगों में सुसमाचार प्रचार होना, कलीसिया को सशक्त बनाना,और समाज का परिवर्तन होना। अगर हम सुसमाचार प्रचार की बात करें तो,यीशु के बारे में बताना,उनके लिए आपके द्वारा किया हुआ सबसे बेहतर कार्य हो सकता है। परमेश्वर का आत्मा हमें संसार को यह सुसमाचार सुनाने के लिए आमन्त्रित करता है। उसी प्रकार से कलीसिया का सशक्तिकरण भी अति महत्वपूर्ण है। यीशु मसीह की कलीसिया वह स्थान है जहां पर लोगों को वह प्रेम और चंगाई प्राप्त होती है जिसका उन्हें बेसब्री से इन्तज़ार होता है। और अन्त में,समाज में परिवर्तन आता है। यीशु के घोषणापत्र में सुसमाचार प्रचार किया जाना और उसकी सामर्थ का प्रगट किया जाना होता है-अर्थात गरीबों की देखभाल करना, बीमारों को चंगा करना,कुचले हुए लोगों के लिए खड़ा होना शामिल है। कलीसिया को भी यह आदेश दिया गया है कि वह बीमारों के लिए प्रार्थना करे,कुचले हुओं का सहारा बने,और यह विश्वास करें कि परमेश्वर हमारे संसार में आलौकिक तौर पर कार्य करेगा। ये सारे विषय, समाज के परिवर्तन का भाग हैं।
परमेश्वर ने हमें ऐसे ही समय के लिए - सुसमाचार प्रचार करने, सशक्त करने तथा परिवर्तित करने के लिए रखा है।
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