कब स्वर्ग पृथ्वी से आकर मिलता है Sample

धरती पर स्वर्ग की विलुप्ति
हमें परमेश्वर के स्वरूप में तैयार किया गया है। हम सभी को। इसमें कोई अपवाद नहीं है। हमें परमेश्वर की नज़दीकी में रहने के लिए तैयार किया गया है। लेकिन हमारी लालसा पाप के प्रति भी बनी रहती है। हव्वा के धूर्त सर्प पर परमेश्वर से ज्यादा विश्वास करने के कारण हुई संसार की दुर्गति के कारण हमारे हृदय,देह और मन के कुछ भाग टूटे हुई अवस्था में हैं। जो पतन उस समय प्रारम्भ हुआ था,वह आज भी पतित होना ज़ारी है। हम एक ऐसे संसार में जीवन व्यतीत करते हैं जहां पर स्त्री और पुरूष एक दूसरे को चोट पहुंचाते,जख्मी करते, नफरत करते, बुरा कहते, घात करते और निगल जाते हैं। हमारे लिए परमेश्वर की मूल योजना धरती पर स्वर्ग थी लेकिन हमारी पापमय दशा की वजह से स्वर्ग धरती से विलुप्त हो गया और एक नरकीय वास्तविकता का उदय हो गया। परमेश्वर ने मानवीय इतिहास के अन्धकारमय कालों में भी अपनी सृष्टि को कभी अकेला नहीं छोड़ा।
जब हमें प्रतीत होता था कि अब सब कुछ बुरा होने वाला है तब भी-वह सर्वदा हमारे साथ था। उसने अपने लोगों को व्यवस्था और उसकी मांगों को दिया जिसके आधार पर उनसे आराधना के तौर पर उनके पास पायी जाने वाली चीज़ों में से कुछ को बलिदान में रूप में चढ़ाने की मांग की। उसके लोगों ने उसकी आराधना की लेकिन उनके हृदय भटकने वाले थे जिसके कारण वे परमेश्वर से दूर हो गये और अन्त में मूर्तिपूजा करने लगे। वास्तविकता यह थी कि जिस लहू को वे आराधना के तौर पर या पश्चाताप के लिए परमेश्वर के लिए बलिदान किया करते थे वह अपर्याप्त था, उन्हें अधिक स्थायी व सिद्ध समाधान की आवश्यकता थी।
अपने जीवन के किस स्थान में आपको इस संसार में पूरी तरह से टूट गये, आपको कब यह महसूस होता है कि आप स्वयं अपना उद्धार प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं? क्या आप इस धरती पर स्वर्ग को देखने के लिए तरस रहे हैं?
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क्रिसमस अपने आप को नज़दीकी से देखने और यह देखने का एक सुन्दर समय होता है कि किस प्रकार से यीशु मसीह के इस धरती पर आने की वास्तविकता हमारे जीवनों को बदल देती है। स्वर्ग ने धरती पर चढ़ाई की और उसे हमेशा के लिए बदल दिया। हमारा जीवन कठिन या दुविधाजनक हो सकता है लेकिन यीशु के साथ रहते हुए वह बेमकसद नहीं हो सकता है।
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