कठिन मार्गों में उमड़ना Sample

गड्ढे़ में से उमड़ना
यूसुफ, कुलपति याकूब का ग्यारवां पुत्र था और उसका पिता उसे सबसे अधिक प्रेम करता था, जिसके कारण उसके भाई उससे जलते थे। पिता का लाडला होने के साथ-साथ यूसुफ को आत्मिक वरदान भी प्राप्त थे, जिसकी वजह से यूसुफ और उसके दस भाईयों के बीच रिश्ते में दरार आ गयी थी। यूसुफ ने बुद्धिमानी का परिचय न देते हुए अपने भाईयों के मुंह पर कम से कम दो बार अपने स्वपनों का बखान कर दिया जिसकी चर्चा उत्पत्ति 37 में की गयी है जिसके कारण उसके भाई उससे जलने और नफरत करने लगे। उसके बाद यूसुफ के भाईयों ने उस पर आक्रमण किया और अन्ततः उसे मिस्र के कुछ व्यापारियों के हाथ बेच दिया। यह विचार करना भी अपने आप में रूचिकर है कि अगर यूसुफ अपने पिता का लाडला बेटा न होता, तो क्या उसके भाई उससे प्रेम करते, क्या तब उसका अपहरण करके व्यापारियों को बेचा न गया होता। भले ही हम इस बात के पीछे “क्यों और क्या” को न जान पाएं, लेकिन हकीकत यह थी कि याकूब के बारे में दिये गये आशीर्वाद को पूरा होना था, अर्थात इस्राएल को परमेश्वर द्वारा चुना हुआ राष्ट्र होने के लिए, यूसुफ को मिस्र में जाना ज़रूरी था। यह परमेश्वर द्वारा इस्राएल के लिए तैयार की गयी आवश्यक और सिद्ध योजना थी। यूसुफ ने परमेश्वर द्वारा उसे व्यक्तिगत तौर पर दिये गये सपने को बचकाने अंहकार के चलते अपना विरोध करने वाले परिवार को बार बार बताया, जिससे की उसके मंजिल तक पहुँचने का मार्ग मुश्किल बन गया। वर्तमान में हम में से हर एक जन ने अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर कुछ न कुछ गलत निर्णय ले लिया होता है। हो सकता है कि हम महसूस करते हों कि हम अपने बीते समयों में गलत निर्णय लेने या चुनाव करने के कारण ही आज गड्ढे में पाये जाते हैं। हमें या तो उन निर्णयों के साथ ही जीवन व्यतीत करना पड़ेगा या फिर उन निर्णयों के लिए खेदित होना पड़ेगा। चाहे जो हो, जब हम परमेश्वर को अपने जीवन का केन्द्र बिन्दू बनाने का प्रयास करते हैं, हम अनुभव करने लग जाते हैं कि वह हमारी उन खेदित भावनाओं और रूकावटों को हटा रहा और ऐसी स्थिति में खड़ा कर रहा है जहां पर हम उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य का अनुभव कर सकें। परमेश्वर के साथ रहते हुए कुछ व्यर्थ नहीं जाता, यहां तक कि वे क्षेत्र भी नहीं जिनमें हम ने असफलताओं का सामना किया था। छलकते हुए जीवन की निशानी परमेश्वर पर यह भरोसा करना है कि वह उन सारी योजनाओं को पूरा करेगा जो उसने हमारे लिए बनाई हैं, चाहे आगे का रास्ता सुनसान और लम्बा ही क्यों न नज़र आ रहा हो।
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क्या आज आप बहुतायत से उमड़ने वाले स्थान से चलने, कम करने, प्रेम करने और सेवा करने का निर्णय लेंगे? क्या आप पवित्र आत्मा से प्रार्थना करना चाहेगें कि वह आपको इस हद तक भर दे ताकि जब दूसरे लोग आपको देखें तो उन्हें भली प्रकार से सींचा गया बगीचा या ऐसा उमड़ता हुआ झरना नज़र आये जिसका पानी किसी भी मौसम में कभी नहीं सूखता ?
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