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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पलSample

अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

DAY 18 OF 20

  प्रभु मेरा सहायक है

पवित्र बाइबल में कई बार, परमेश्वर ने हमें उस पर भरोसा रखने को कहा है, उस पर निर्भर रहने और उनके पास सहायता के लिए दौड़ कर जाने को कहा है। परमेश्वर हमें यकीन दिलाते हुए कहते है, ‘‘मैं तेरी मदद करूंगा।” जरूरत और मुश्किलों के समय में, क्या हम प्रार्थना के साथ परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं या लोगों की ओर दौड़ते हैं - हमारे पास्टर, हमारे माता-पिता या दोस्तों के पास?

राजा यहोशापात को एक ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ा जहां मोआब और अम्मोन के लोग, उस पर और यहूदा के लोगों पर हमला करने वाले थे (2 इतिहास 20:1-3)। यहोशापात ने मदद के लिए परमेश्वर को पुकारा और उपवास रखा। और परमेश्वर ने उसे उसके शत्रुओं से छुटकारा दिलाया। साथ ही परमेश्वर ने उसे जीतने के लिए एक भिन्न व्यूहरचना भी बता कर दी - कि अपनी सेना के सामने गायकों और संगीतकारों को रखना। इस्त्राएल का दूसरा एक राजा, अहिजियाह, परमेश्वर के पास सहायता के लिए जाने की बजाय, दूसरे देवी-देवताओं के पास गया, जब वह इस बात को जानना चाहता था कि वह युद्ध में मारा जाएगा या बच जाएगा (1 राजा 1:1-4), तो इसे देखकर परमेश्वर उससे काफी अप्रसन्न हुए और वह जख्मी होकर मर गया।

आज, परमेश्वर हमसे कहता है कि हम अपना भरोसा मनुष्यों पर नहीं, बल्कि प्रभु पर रखें। हमारी लड़ाईयां और हमारे संघर्ष परमेश्वर की हैं और यदि हम पूरी तरह से अपने आप को उसके हाथों में समर्पित करने की इच्छा रखते हैं, और किसी भी परिस्थिति में केवल उसी पर भरोसा रखते हैं, तो वह हमें यकीनन् विजयी बनाएगा। भजनकार कहता है, ‘‘मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है। (भजन 121:2)।

प्रार्थना

हे प्रभु, मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि परेशानियों के समय में मैं आपके पास दौड़ के आ सकता हूं, यह जानते हुए कि आप मेरी शरण हो और जरूरत के समय सहज से मिलने वाले सहायक हो। मेरी मदद कीजिए कि मैं अपने जीवन के कठिन समय में आप पर भरोसा रखूं। आमीन्।

Scripture

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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें। अंत में दी गई प्रार्थना या घोषणा के अर्थ को समझते हुए उसे दोहराएं। इस बात को जानें कि परमेश्वर के जिस प्रेम और सामर्थ को लेखकों ने अनुभव किया था, वह आपका भी हो सकता है।

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