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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पलSample

अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

DAY 10 OF 20

  वह मुझपर अपनी दृष्टि बनाए रखता है

परमेष्वर की दृष्टि हर व्यक्ति के ऊपर है, और जो उनका भय मानते, भरोसा रखते और प्रेम करते हैं, उन पर वह विषेश ध्यान रखता है। यहां तक कि, परमेश्वर की चौंकन्नीआंखें तब भी आप पर होती है जब आप साफ तौर से उन रास्तों को नहीं देख पाते जिस पर आप चल रहे होते हो। यही विचार 2 इतिहास 16:9 में भी बांटा गया हैः ‘‘देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।“

 परमेश्वर आप पर इसलिए दृष्टि नहीं रखता कि वह आपसे क्रोधित है, या आप पर भरोसा नहीं या आप पाप में गिर सकते हो, बल्कि इसलिए, क्योंकि वह आपसे प्रेम करते हैं। वही है जो आपको अपनी धीमी शांत आवाज़ से अगुवाई देगा और आपको हर बुराई से बचाएगा। परमेश्वर की आंखें लगातार हम पर बनी रहती है ताकि हमारी रक्षा करे और जिन मुश्किलों का हम जीवन में सामना करते हैं, उनमें से हमें बाहर निकाले।

अक्सर हमारे जीवन में परमेश्वर के हाथ को काम करते हुए देखना कठिन होता है और हम उनकी उपस्थिति पर संदेह करना शुरू कर देते हैं। वह हमें काफी दूर या हमारी पहुंच से बाहर दिखाई पड़ता है, लेकिन याद रखें, आप जितना सोचते हो, परमेश्वर आपके उससे भी कई नज़दीक है। हमारा पिता हमेशा हम पर निगरानी रखता है और परदे के पीछे रहकर हमेशा हमारे लिए कार्य करते रहते हैं। वह आपको हर अच्छे और बुरे दौर से पार कराएंगे। परमेश्वर आपके प्राण को मृत्यु से छुडाएंगे। दूसरे शब्दों में, वह आपके प्राण की रक्षा करेंगे। वह आपका संरक्षक है औैर वह आपकी रखवाली करेंगे और जब कभी आप किसी मुसीबत में होंगे, तब वह आपकी रक्षा करेंगे।

यहां तक कि अकाल के समय में या किसी जरूरत के समय, वह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि आपके पास सबकुछ पर्याप्त हो। अकाल में वह तुझे मुत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा। (अय्यूब 5:20)। आपको और क्या चाहिए?

प्रार्थना

हे प्रभु, मेरे अंदर आपका एक पवित्र भय उत्पन्न कीजिए, ताकि मैं भटकूं नहीं बल्कि उस मार्ग पर स्थिर रहूं जिसकी योजना आपने मेरे लिए की है। यीशु के नाम में, आमीन्।

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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें। अंत में दी गई प्रार्थना या घोषणा के अर्थ को समझते हुए उसे दोहराएं। इस बात को जानें कि परमेश्वर के जिस प्रेम और सामर्थ को लेखकों ने अनुभव किया था, वह आपका भी हो सकता है।

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