मन की युद्धभूमिSample

मेरा सामान्य मन
इफिसियों का यह भाग बहुत से लोगों के लिए समझने में कठिन है। मन की ज्योतिर्मय आँखों से पौलुस का तात्पर्य क्या था? पद 18। मुझे विश्वास है कि वह मन के बारे में बात कर रहा था, क्योंकि उसी को ज्योति या प्रकाश की आवश्यकता होती है।
बहुत से लोगों को ज्योतिर्मय आँखों से तकलीफ होती है। क्योंकि वे बहुत सारी बातों से भरे हुए होते हैं, पौलुस प्रार्थना करता है कि हमें एक साधारण मन मिले, जो पवित्र आत्मा के प्रति खुला हुआ हो। ताकि हम परमेश्वर की योजना का अनुकरण कर सकें और एक समृद्ध जीवन जी सकें।
सामान्य मन के विचार के बारे में सिखने का एक तरीका यीशु मसीह के दो मित्रों की तरफ देखना जो मार्था और मरियम थे।अधिकतर लोग इन दोनों बहनों की कहानी जानते हैं और प्रभु यीशु मसीह का बेतनी में उनके घर में प्रवेश करना। मार्था काम करती रही और वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही थी कि उसके घर में सब कुछ सही सही हो। जब मरियम यीशु के पास बैठ कर यीशु की बातें सुन रही थी। लूका कहता है, मार्था बहुत सेवा करते करते थक गई। लूका 10ः40। और उसने शिकायत किया कि उसे उसकी बहन की सहायता की आवश्यकता है।
‘‘मार्था, हे मार्था, तू बहूत—सी बातों के लिए चिन्तित तथा व्याकुल रहती है। (पदय 41) यीशु ने उस से कहा, और तब उसने टिप्पणी की कि मरियम ने उत्तम भाग को चुन लिया है।
जब मैंने इस घटना के बारे में सोचा मैंने पाया कि यह मार्था के चिन्ताकुल होने से भी बढ़कर था। यह स्पष्ट है कि उसकी मन इधर उधर उछल रहा था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सब कुछ सही सही हो। यहां पर इस बात को आप इस प्रकार से लागू कर सकते हैं कि चाहें और कुछ काम करने को न हो। फिर भी मार्था यीशु के पास बैठने को समय नहीं निकाल पाई। वह इसलिए अधिक व्यस्तता में फंस गई कि उसका मन और कुछ करने को ढ़ूँढ़ने लगी।
ऐसी मार्थाएं संसार के नियंत्रण में रहती हैं या नहीं। वे अच्छी हैं जो चीजों को करती हैं। जब वे अपने खूद के लक्ष्यों को पूरा होते हुए नहीं पाती तो वे दूसरों से कहते हुए दिखाई देतें हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। आज कल की दूनिया में जब कि बहुत सारे लक्ष्य एक साथ पूरे किए जा रहे हैं, तब मार्थाओं को अवार्ड़स और अन्य उपहार मिल रहे हैं। कुछ लोग हमेशा व्यस्त होते हैं। वे अपने व्यस्तता को बैच के समान पहन लेते हैं। मानो यह उन्हें बहुत महत्वपूर्ण बनाता हो।
उनकी व्यस्तता उन्हें परमेश्वर के साथ उन्हें सही सम्बन्ध बनाने से विचलित करती है। वे ही हैं जो अक्सर अपने जीवन में शान्ति की कमी और आत्मिक संतृप्ति की कमी पाते हैं। अर्थात उनके मन में वह नहीं है जो परमेश्वर सामान्य मन में देखना चाहता है। यह कोई ऐसी स्थिति नहीं है जिसमें वह होना चाहता है।
जो लोग अत्यन्त व्यस्त होते हैं, उन्हें निन्द भी नहीं आती है जब वे रात को सोने के लिए लेटते हैं। वे या फिर मानसिक रीति से दिन भर की गतिविधियों में फंसे रहते हैं, या फिर मन में अगले दिन की कार्य के लिए सूची बना रहे होते हैं।
परमेश्वर इस प्रकार की दिन जरिया के लिये हमें नहीं बुलाता है। विश्वासी होने के नाते हम आत्मिक प्राणी हैं परन्तु हम शारीरिक भी हैं। शारीरिक आत्मिक को नहीं समझ सकता, और हमारे स्वभाव के इस भाग में हमेशा लड़ाई होती रहती है। बाइबल यह स्पष्ट कहती है कि मन और आत्मा एक साथ काम करते हैं। इस सिद्धान्त को मैं ‘मन के द्वारा आत्मा को पोषित करना‘ कहती हूँ।
मन के द्वारा आत्मा को पोषित करने के लए हमें अपनी चारों ओर की बातों से विचलित न होना सीखना है। हमारे समय और ऊर्जा पर हमेशा माँग रखती है, और हमेशा हम बहुत कुछ करने के लिए पा सकते हैं। यदि हम मसीह के मन के अनुसार जीना चाहते हैं, एक ऐसा मन जो मसीहियों के लिए साधारण हो। इसका तात्पर्य है कि हमें मरियम की नकल करना सीखना है। उसके चारो ओर चलनेवाले सारी गतिविधियों के बावजूद वह बैठने में सक्षम थी, और आराम से शान्ति पूर्वक अपनी स्वामी के आवाज को सुन रही थी। इसी प्रकार हमारे मन को कार्य करना चाहिए। यह शान्त और आत्मा के आधिन होना चाहिए। फिर भी अधिकतर हमारा मन गलत दिशा में भागता है, और वह वास्तव में आत्मा को हमारी सहायता करने में बाधा पहुँचाता है, और आत्मा को सच्ची प्रशंसा प्राप्त नहीं पाती है। यदि आप इस मनन से यह समझते हैं कि आप का मन असम्मान व्यक्ति से व्यवहार कर रहा था। परमेश्वर से क्षमा माँगे और यह सिखाने के लिए कहें कि परमेश्वर के राज्य में एक सामान्य मन किस प्रकार का होता है।
‘‘प्रिय स्वर्गीय परमेश्वर, बाधाए लगातार मेरे पास आती है। जब मैं तूझ पर ध्यान करना चाहती हूँ, तो मैं अपने मन को दर्जनों बातों में भरी हुई पाती हूँ। मैं महसूस करती हूँ कि मेरे पास सच में एक ही बात है, अर्थात तूझ पर ध्यान करना। मेरी सहायता कर मैं हर एक विचलित करनेवाली बात को दूर करूँ। और संसार के शोर शराबी को दूर करूँ। ताकि मैं केवल आपकी आवाज को सुन सकूँ। जो कहती है मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। आमीन।''
Scripture
About this Plan

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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