मन की युद्धभूमिSample

मन को बांधने वाली आत्माएँ
मैं जानती थी कि परमेश्वर ने मुझे एक सामर्थी विश्वव्यापी सेवकाई के लिए बुलाया है। मै इस बारे में घमण्ड नहीं करती थी और यह नहीं महसूस करती थी कि मैं कोई विशेष व्यक्ति हूँ। मैं जानती थी कि मिसोरी के फेन्टेन गाँव की एक साधारण महिला हूँ, जिसे किसी ने कभी नहीं सुना था। फिर भी मैंने विश्वास किया कि मैं एक राष्ट्रिय रेडियो सेवकाई करूँगी। मैंने विश्वास किया कि परमेश्वर मुझे बिमारों को चंगाई देने और जीवनों को बदलने के लिये इस्तेमाल करेगा।
वास्तव में धमण्ड करने के बदले मैंने अपने आपको दीन किया। मैं कौन थी जिसे परमेश्वर इस्तेमाल करता? और जितना अधिक मैने इस बात पर विचार किया, उतना ही अधिक मैंने परमेश्वर की भलाई और उसके सर्वोच्चता पर आनन्द किया। 1 कुरि. 1ः26—31 में प्रेरित पौलुस बताता है कि परमेश्वर का चुनाव अक्सर भेद भरे होते हैं। वह मुखोर्ं को चुनता है ताकि बुद्धिमानों को लज्जित करे। सामर्थियों को शर्मिन्दा करने के लिए वह कमजोरों को चुनता है। अन्त में पौलुस कहता है, ‘‘जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।'' मैंने घमण्ड करने का कोई कारण नहीं पाया। मैंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा और उसके बुलाहट पर विश्वास किया। मुझे इसी बात पर जोर देना है। और मैंने इन्तजार किया कि परमेश्वर द्वार को खोले जिसे कोई बन्द नहीं कर सकता। जब वह तैयार हुआ तब यह सम्भव भी हुआ।
यद्यपि मैं नहीं जानती थी कि समस्या कब शुरू हुई। एक दिन मैंने स्वयं को पूछते हुए सुना। मुझे मालूम नहीं कि परमेश्वर वास्तव में मुझे इस्तेमाल करना चाहता है। परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को थामें रहने के बदले मैं स्वयं को और अपनी योग्यता की कमी को देखने लगी। मैं स्वयं की तुलना परमेश्वर के अन्य दासों से करने लगी। जब आप स्वयं की तुलना दूसरों से करते हैं, यह हमेशा एक गलती होती है। क्योंकि आप अन्त में नकारात्मक पहलू पर पहुँच जाते हैं।
सन्देहों ने भीतर जन्म लेना शुरू कर दिया। शायद मैंने ही इसे ऐसा होने दिया। शायद मैं ऐसा कुछ होने देना चाहती थी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। जब तक मैं इस दुविधा में फंसी रही मैं हमेशा सन्देहों से ग्रस्त रही, मैंने परमेश्वर और उसकी प्रतिज्ञाओं पर सन्देह किया। मैंने महसूस किया कि परमेश्वर का वह प्रकाशन अब मेरे पास नहीं है जो उसने मुझे दिया था। मैं अविश्वास और सन्देहों से भर गई।
मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करना, याचना करना प्रारम्भ किया कि वह मेरी सहायता करे। यदि मैंने स्वयं ही यह निर्णय किया है कि तूने मुझे बुलाया है तो यह इच्छा मेरे भीतर से दूर कर और यदि तूने मुझे सचमुच में बुलाया है, तो मेरी सहायता कर। मेरे दर्शन को दृढ़ कर।
जब मैं रूकी तो मैंने परमेश्वर को अपने हृदय में बाते करते सुना। मन को बान्धनेवाली आत्माएँ।
मन को बान्धनेवाली क्या है? मैंने पूछा। मैंने इस शब्द को पहले कभी नहीं सुना था। इसलिये इसके बारे में मैं अधिक कुछ नहीं सोच सकी।
अगले दिन जब मैंने प्रार्थना किया तो मैंने पुनः उसी शब्द को सुना। अगले दो दिनों तक जब भी मैंने प्रार्थना किया तो मैंने इस शब्द को सुना। मन को बान्धनेवाली आत्मा।
मैं बहुत सारी सेवकाई कर चुकी थी। और मैं यह भी समझ चुकी थी कि बहुत से विश्वासी अपने मन के साथ कितने समस्या से झूझते हैं। पहले मैंने सोचा कि पवित्र आत्मा मेरी अगुवाई कर रहा कि मैं मसीह की देह के लिये प्रार्थना करूँ, कि वह मन को बान्धनेवाली आत्मा के विरूद्ध खड़ी कर सकें।
मैंने प्रार्थना किया और उस आत्मा को डाँटा। और तब मैंने महसूस किया कि वे शब्द मेरे लिये थे। एक मन को बान्धनेवाली आत्मा ने मेरे दर्शन को चुराने और मेरे आनन्द को खत्म करने और मेरे सेवकाई को छीनने का प्रयास किया था। एक बहुत बड़ा छुटकारा मेरे ऊपर आया। सारा दबाव खत्म हो गया था।
सारे सवाल खतम हो गये थे। मैं स्वतंत्र थी। और जो राष्ट्रिय सेवकाई का दर्शन परमेश्वर ने दिया था वह मेरे विचारों को केन्द्र बन गया। मैने भजन 107:20 को पढ़ा, ‘‘वह अपने वचन के द्वारा उनको चंगा करता और जिस गढ्हे में वे पड़े हैं उनको निकालता है।'' हाँ, वह यही था। एक दुष्ट आत्मा मेरे मन पर आक्रमण कर रहा था। और परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास करने से मुझे रोक रहा था। मैंने परमेश्वर से कहा कि वह मेरी सहायता करे और उसने मुझे मुक्त किया। यह मन को बान्धनेवाली आत्मा वर्तमान में बहुत से लोगों पर आक्रमण करती है। वे जानते हैं कि परमेश्वर क्या चाहता है और परमेश्वर की सेवा करने में उत्सुक भी हैं। कभी कभी वे अपने मित्रों को परमेश्वर की योजना को बताते भी हैं। जब तुरन्त ही कुछ नहीं होता तब मन को बान्धनेवाली आत्मा प्रवेश करती है। मानो उनके मन लोहे की जंजीरों से जकड़े हुए हों और वे यह विश्वास करने में कठिनाई अनुभव करते हैं, कि उनके स्वप्न पूरे होंगे। शैतान फुसफुसाता है, क्या परमेश्वर ने सच में ऐसा कहा? या फिर तुम अपने आप ऐसा सोच लिया? जल्द ही निर्णय लो। यदि परमेश्वर ने कहा है, तो परमेश्वर ही पूरा करेगा। ध्यान रखें इब्राहिम ने पच्चीस वर्ष तक परमेश्वर का इन्तजार किया कि वह उसे इसहाक दे।
‘‘सच्चें और विश्वासयोग्य परमेश्वर, जब मैं भ्रम और सन्देहों को अपने मन में आने देती हूँ, तो मुझे क्षमा करें। यह आपके उपकरण नहीं है। मसीह के सामर्थी नाम से मन को बान्धनेवाली आत्माओं को तोड़ने में मेरी सहायता करें। आमीन।''
Scripture
About this Plan

जीवन कभी-कभी हम में किसी को भी ध्यान ना देते समय पकड़ सकता है। जब आप के मन में युद्ध चलना आरम्भ होता है, दुश्मन परमेश्वर के साथ आपके संबंध को कमजोर करने के लिए उसके शस्त्रगार से प्रत्येक शस्त्र को इस्तेमाल करेगा। यह भक्तिमय संदेश आपको क्रोध, उलझन, दोष भावना, भय, शंका. .
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