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सेलाब
1जब रूए ज़मीन पर इन्सानों की तादाद बढ़ने लगी और उन के बेटियां पैदा हुईं, 2तो ख़ुदा के बेटों ने देखा के आदमियों की बेटियां ख़ूबसूरत हैं, और उन्होंने जिन-जिन को चुना उन से शादी कर ली। 3तब याहवेह ने फ़रमाया, “मेरी रूह इन्सान के साथ हमेशा मुज़ाहमत न करती रहेगी क्यूंके वह फ़ानी है। उस की उम्र एक सौ बीस बरस की होगी।”
4उन दिनों में ज़मीन पर बड़े क़दआवर और मज़बूत लोग मौजूद थे बल्के बाद में भी थे जब ख़ुदा के बेटे इन्सानों की बेटीयों के पास गये और उन से औलाद पैदा हुई। ये क़दीम ज़माने के सूरमा और बड़े नामवर लोग थे।
5याहवेह ने देखा के ज़मीन पर इन्सान की बदी बहुत बढ़ गई है, और इन्सानी दिल के ख़यालात हमेशा बदी की तरफ़ माइल रहते हैं। 6याहवेह को अफ़सोस हुआ के उन्होंने ज़मीन पर इन्सान को पैदा किया और उन का दिल ग़म से भर गया। 7चुनांचे याहवेह ने फ़रमाया, “मैं इन्सान को जिसे मैंने पैदा किया, रूए ज़मीन पर से मिटा दूंगा बल्के सब को ख़्वाह वह इन्सान हों या जानवर; ख़्वाह वह ज़मीन पर रेंगने वाले जानवर हों और हवा के परिन्दे। मुझे अफ़सोस है के मैंने उन्हें बनाया।” 8लेकिन नोहा याहवेह की नज़र में मक़्बूल हुआ।
नोहा और सेलाब
9नोहा के ख़ानदानी हालात यूं हैं:
नोहा रास्तबाज़ इन्सान था और अपने ज़माने के लोगों में बेऐब था और वह ख़ुदा के साथ-साथ वफ़ादारी से चलता था। 10नोहा के तीन बेटे थे: शेम, हाम और याफ़ेत।
11अब ज़मीन ख़ुदा की निगाह में बिगड़ चुकी थी और ज़ुल्म-ओ-तशददुद से भरी हुई थी। 12ख़ुदा ने देखा के ज़मीन बहुत बिगड़ चुकी है, क्यूंके ज़मीन पर सब लोगों ने अपने ज़वाबित बिगाड़ लिये थे। 13चुनांचे ख़ुदा ने नोहा से फ़रमाया, “मैं सब लोगों का ख़ातिमा करने को हूं, क्यूंके ज़मीन उन की वजह से ज़ुल्म से भर गई है। इसलिये मैं यक़ीनन नौए-इन्सान और ज़मीन दोनों को तबाह कर डालूंगा। 14लिहाज़ा तुम सनोबर की लकड़ी का एक जहाज़ बनाओ; उस में कमरे बनाना और उसे अन्दर और बाहर से राल से पोत देना। 15तुम ऐसा करना के जहाज़ की तीन सौ हाथ लम्बाई, पचास हाथ चौड़ाई और तीस हाथ ऊंचाई हो।#6:15 लम्बाई 135 मीटर, चौड़ाई 23 मीटर, ऊंचाई 14 मीटर 16जहाज़ की छत से ले कर हाथ भर#6:16 हाथ भर तक़रीबन 45 सेन्टीमीटर नीचे तक रोशन-दान बनाना। जहाज़ के अन्दर तीन दर्जे बनाना निचला, दरमियानी और बालाई, और जहाज़ का दरवाज़ा जहाज़ के पहलू में रखना। 17देखो मैं ज़मीन पर सैलाबी पानी लाने वाला हूं ताके आसमान के नीचे का हर जानदार यानी हर वह मख़्लूक़ जिस में ज़िन्दगी का दम है, हलाक हो जाये। सब जो रूए ज़मीन पर हैं, मर जायेंगे। 18लेकिन तुम्हारे साथ मैं अपना अह्द बांधूंगा और तुम जहाज़ में दाख़िल होगे। तुम और तुम्हारे साथ तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बीवी और तुम्हारे बेटों की बीवीयां। 19और तुम्हारे तमाम हैवानात में से दो-दो को, जो नर और मादा हों, जहाज़ में ले आना ताके वह तुम्हारे साथ ज़िन्दा बच जायें। 20हर एक अपनी-अपनी जिन्स के परिन्दों, जानवरों और ज़मीन पर रेंगने वाले जानदारों में से दो-दो अपनी-अपनी जिन्स के तुम्हारे पास आयें ताके वह भी ज़िन्दा बच जायें। 21और तुम हर तरह की खाने वाली चीज़ ले कर अपने पास जमा कर लेना ताके वह तुम्हारे और उन के लिये ख़ुराक का काम दे।”
22नोहा ने हर काम ठीक उसी तरह किया जैसा ख़ुदा ने उन्हें हुक्म दिया था।