आमाल 46:2-47

आमाल 46:2-47 URHCV

वह हर रोज़ एक दिल होकर बैतुलमुक़द्‍दस के सहन में जमा होते थे। अपने घरों में रोटी तोड़ते थे और इकट्‍ठे होकर ख़ुशी और साफ़ दिली से खाना खाते थे। वह ख़ुदा की तम्जीद करते थे और सब लोगों की नज़र में मक़्बूल थे। और ख़ुदावन्द नजात पाने वालों की तादाद में रोज़-ब-रोज़ इज़ाफ़ा करते रहते थे।

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