आमाल 44:2-45

आमाल 44:2-45 URHCV

हुज़ूर अलमसीह पर ईमान लाने वाले तमाम अफ़राद इकट्‍ठे रहते थे और तमाम चीज़ों में एक दूसरे को शरीक समझते थे। वह अपनी जायदाद और माल-ओ-अस्बाब बेच-बेच कर हर एक को उस की ज़रूरत के मुताबिक़ रक़म तक़्सीम कर दिया करते थे।

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