आरू एकदम छे सोरग छे मोटी आँधी क सारकु सन्नाटु आवनेन शब्द हुयो, आरू ओका सी सब घर वा त्या बोठ्या हुता, गुंज गयो। आरू ओका आगठी सारकी जीप फाटली देखाय पड़ी आरू आखा पर आवीन उन लोगहन मा समाय गय। आरू त्या आखा चुखली आत्मा से भराय गया, आरू जीने रीते आत्मा हेनको बुलने करिन शक्ति आपी, आरू त्या भाति–भातिन भाषा बुलने लाग्या।