विस्वास करलहरासाङे इअ यचम्मक चिन्हासभ हतइ, हुनुका मोर नाउँमा भुत-आत्मासभ निस्कोतइ हसे लउठा-लउठा भासासभमा फदकतइ। हुनुका यापन हथवासे सपवानिके पकडतइ हसे यगर हुनुका किहो बिख पितइ जउँ, हुनुकर किहो हानि फेनि नाहिँ हतइ। हुनुका मनियइलि मन्सावानिक वपरा हाथ धरले हुनुका डउल हतइ।”