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याकूब 1:2-12

याकूब 1:2-12 HINCLBSI

मेरे भाइयो और बहिनो! जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्‍द की बात समझिए। आप जानते हैं कि आपके विश्‍वास का इस प्रकार का परीक्षण धैर्य उत्‍पन्न करता है। धैर्य को कार्यान्‍वयन की पूर्णता तक पहुँचने दीजिए, जिससे आप लोग स्‍वयं पूर्ण तथा सिद्ध बन जायें और आप में किसी बात की कमी नहीं रहे। यदि आप लोगों में से किसी में बुद्धि का अभाव हो, तो वह परमेश्‍वर से प्रार्थना करे और उसे बुद्धि मिलेगी; क्‍योंकि परमेश्‍वर खुले हाथ और खुशी से सब को देता है। किन्‍तु उसे विश्‍वास के साथ और सन्‍देह किये बिना प्रार्थना करनी चाहिए; क्‍योंकि जो सन्‍देह करता है, वह समुद्र की लहरों के सदृश है, जो हवा से इधर-उधर उछाली जाती हैं। ऐसा व्यक्‍ति यह न समझे कि उसे प्रभु की ओर से कुछ मिलेगा; क्‍योंकि ऐसा मनुष्‍य दुचिता है और उसका सारा आचरण अस्‍थिर है। जो भाई अथवा बहिन दरिद्र है, वह परमेश्‍वर द्वारा प्रदत्त अपनी श्रेष्‍ठता पर गौरव करे। जो धनी है, वह अपनी हीनता पर गौरव करे; क्‍योंकि वह घास के फूल की तरह नष्‍ट हो जायेगा। जब सूर्य उगता है और लू चलने लगती है, तो घास मुरझाती है, फूल झड़ता है और उसकी कान्‍ति नष्‍ट हो जाती है। इसी तरह धनी और उसका पूरा व्‍यापार समाप्‍त हो जायेगा। धन्‍य है वह, जो विपत्ति में दृढ़ बना रहता है! परीक्षा में खरा उतरने पर उसे जीवन का वह मुकुट प्राप्‍त होगा, जिसे प्रभु ने अपने भक्‍तों को देने की प्रतिज्ञा की है।

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