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मुकाशफ़ा 2:4
किताब-ए मुक़द्दस
लेकिन मुझे तुझसे यह शिकायत है, तू मुझे उस तरह प्यार नहीं करता जिस तरह पहले करता था।
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मुकाशफ़ा 2:5
अब ख़याल कर कि तू कहाँ से गिर गया है। तौबा करके वह कुछ कर जो तू पहले करता था, वरना मैं आकर तेरे शमादान को उस की जगह से हटा दूँगा।
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मुकाशफ़ा 2:10
जो कुछ तुझे झेलना पड़ेगा उससे मत डरना। देख, इबलीस तुझे आज़माने के लिए तुममें से बाज़ को जेल में डाल देगा, और दस दिन तक तुझे ईज़ा पहुँचाई जाएगी। मौत तक वफ़ादार रह तो मैं तुझे ज़िंदगी का ताज दूँगा।
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मुकाशफ़ा 2:7
जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूहुल-क़ुद्स जमातों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं ज़िंदगी के दरख़्त का फल खाने को दूँगा, उस दरख़्त का फल जो अल्लाह के फ़िर्दौस में है।
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मुकाशफ़ा 2:2
मैं तेरे कामों को जानता हूँ, तेरी सख़्त मेहनत और तेरी साबितक़दमी को। मैं जानता हूँ कि तू बुरे लोगों को बरदाश्त नहीं कर सकता, कि तूने उनकी पड़ताल की है जो रसूल होने का दावा करते हैं, हालाँकि वह रसूल नहीं हैं। तुझे तो पता चल गया है कि वह झूटे थे।
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मुकाशफ़ा 2:3
तू मेरे नाम की ख़ातिर साबितक़दम रहा और बरदाश्त करते करते थका नहीं।
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मुकाशफ़ा 2:17
जो सुन सकता है वह सुन ले कि रूहुल-क़ुद्स जमातों को क्या कुछ बता रहा है। जो ग़ालिब आएगा उसे मैं पोशीदा मन में से दूँगा। मैं उसे एक सफ़ेद पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम लिखा होगा, ऐसा नाम जो सिर्फ़ मिलनेवाले को मालूम होगा।
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