पण पतरस केदो, “ए हनन्या! भुतड़ो तारा मन मे आहयी वात काहा नाख देदो, के तु चोखली आत्मा ने झुट मेके अने जागो वेचलो तीनी कीमत मे गेथो थोड़ाक पय्हा बचाड़ीन मेक ले? वेचवा नी पेले तीहयु खेतर तारु नी हतु ह़ु? अने तीहया वेचला खेतर नी कीमत पोर तारो हक नी हतो ह़ु? अने तु आह़फा ना मन मे आवो वीच्यार काहा कर्यो? तु माणहु ने नी, पण भगवान ने झुट मेकलो से।” हनन्यो आहयी वात ह़मळीन पड़्यो अने तीनो जीव नीकळी ज्यो। अने जे बी तीना बारा मे ह़मळ्या, तीहया घण-जबर बीही ज्या।