एतरे ए भायु, तमु, तमारी मे गेथा वारला गुण वाळा नामह़ाद्या ह़ात अदमी ने टाळ लेवो, तीमनी मे चोखली आत्मा पुरीन-पुरी भरायली से, अने तीहया अक्कल वाळा अने ईमानदार से, अने आमु तीमने खाणु अने ह़मान आपवा नो हक आप देह़ु। पण आमु ते वीन्ती मे अने बोलु ने वाटवा नी सेवा-चाकरी करता रेहु।”