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सच्ची आत्मिकता Halimbawa

सच्ची आत्मिकता

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परमेश्वर को उसकी इच्छा के अनुसार देना

रोमियों 12 आत्म समर्पण की पुकार के साथ प्रारम्भ होता है- अर्थात अपने लिए नहीं परन्तु परमेश्वर के लिए जीवन जीने की बुलाहट। और अगर ईमानदारी से बताऊं, तो यह उसके हमारे सम्बन्ध के बीच में एक बहुत बड़ी बाधा है। 

मसीह को ग्रहण करने के बाद, मुझे अपना जीवन समर्पित करने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। मैं ऐसा सोचता था कि अपना जीवन उसे देने का अर्थ होगा कि मुझे उन चीज़ों को छोड़ना होगा जिन्हें मैं चाहता हूं। 

मैं विवाह करना चाहता था। मुझे डर लगने लगा कि कहीं प्रभु मुझे अविवाहित रखना या फिर किसी ऐसे जन से मेरा विवाह तो नहीं करवा देगें जो मुझे पसन्द न हो। मैं ने सोचा कि अब वह मुझ से बास्केटबाल छोड़कर मिश्नरी बनने के लिए कहेंगे। मैं सोचता था कि उसकी इच्छा “अच्छी” तो होगी मगर मजे़दार नहीं।

मेरी यह कशमकश तब तक चलती रही जब तक कि मैं एक दिन अपने मित्र के साथ अपने घर वापस नहीं आ रहा था। उन लोगों के जीवन में तो वह सबकुछ था जो वास्तव में मुझे चाहिए था- मतलब कि, उत्तम विवाहित जीवन, आनन्द से भरपूर घर, परमेश्वर के लिए समर्पित हृदय- और मैं दुविधा में पड़ा हुआ था। 

तब परमेश्वर ने मुझे एक वचन याद दिलायाः 

जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दियाः वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्यों कर न देगा? (रोमियों 8:32)

देखिये, परमेश्वर हमारे जीवन पर सम्पूर्ण नियन्त्रण तो चाहता है, लेकिन वह हमारे हृदय को जानता है। वह उसकी इच्छाओं को पूरा करना चाहता है। 

हमारे प्रति उसकी इच्छा भली है। और इस बात को साबित करने के लिए उसने पहले ही अनोखे उपहार के रूप् में अपने पुत्र को दे दिया है। 

मैं प्रायः हमारे जीवन की बुलाहट चित्रण जीवित बलिदान के रूप में करता हूं, लेकिन उसका अर्थ “आत्म समपर्ण” नहीं वरन “सम्पूर्ण प्रतिबद्धता” होती है।” इसके कारण निम्नलिखित हैंः

·  आत्म समपर्ण करते समय हमारा पूरा ध्यान इस त्यागी या दी हुई चीज़ों पर रहता है। सुनने में ऐसा लगता है सबकुछ लग गया और कोई फायदा नहीं हुआ।

·  सम्पूर्ण प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण बातों का पुनरावलोकन है। हम समझ पाते हैं कि परमेश्वर कौन है, उसने हमारे लिए क्या किया है, और वह हम से क्या करवाना चाहता है।  

क्या आप अपने निरर्थक जीवन को ऐसे जीवन के बदले देना चाहते हैं जिसमें सदैव प्रतिफल की प्राप्ति है? मसीह के प्रति सम्पूर्ण प्रतिबद्ध हों। अपने आप को उसके लिए एक जीवित बलिदान के रूप में दें। आपको आनन्द और सच्ची आत्मिकता से भरपूर जीवन प्राप्त होगा।

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सच्ची आत्मिकता

एक सच्चे मसीही का जीवन कैसा होता है?रोमियों 12, बाइबल का यह खण्ड, हमें एक तस्वीर प्रदान करता है। इस पठन योजना में आप, सच्ची आत्मिकता के अन्तर्गत पढ़ेंगे कि परमेश्वर हमारे जीवन के हर एक हिस्से को बदलते हैं- अर्थात हमारे विचारों, नज़रिये, दूसरों के साथ हमारे रिश्ते, बुराई के साथ हमारी लड़ाई को। परमेश्वर की उत्तम बातों को ग्रहण करके आज ही गहराई से संसार को प्रभावित करें।

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