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अमसाल 21

21
1बादशाह का दिल रब के हाथ में नहर की मानिंद है। वह जिधर चाहे उसका रुख़ फेर देता है।
2हर आदमी की राह उस की अपनी नज़र में ठीक लगती है, लेकिन रब ही दिलों की जाँच-पड़ताल करता है।
3रास्तबाज़ी और इनसाफ़ करना रब को ज़बह की क़ुरबानियों से कहीं ज़्यादा पसंद है।
4मग़रूर आँखें और मुतकब्बिर दिल जो बेदीनों का चराग़ हैं गुनाह हैं।
5मेहनती शख़्स के मनसूबे नफ़ा का बाइस हैं, लेकिन जल्दबाज़ी ग़ुरबत तक पहुँचा देती है।
6फ़रेबदेह ज़बान से जमा किया हुआ ख़ज़ाना बिखर जानेवाला धुआँ और मोहलक फंदा है।
7बेदीनों का ज़ुल्म ही उन्हें घसीटकर ले जाता है, क्योंकि वह इनसाफ़ करने से इनकार करते हैं।
8क़ुसूरवार की राह पेचदार है जबकि पाक शख़्स सीधी राह पर चलता है।
9झगड़ालू बीवी के साथ एक ही घर में रहने की निसबत छत के किसी कोने में गुज़ारा करना बेहतर है।
10बेदीन ग़लत काम करने के लालच में रहता है और अपने किसी भी पड़ोसी पर तरस नहीं खाता।
11तानाज़न पर जुरमाना लगा तो सादालौह सबक़ सीखेगा, दानिशमंद को तालीम दे तो उसके इल्म में इज़ाफ़ा होगा।
12अल्लाह जो रास्त है बेदीन के घर को ध्यान में रखता है, वही बेदीन को ख़ाक में मिला देता है।
13जो कान में उँगली डालकर ग़रीब की मदद के लिए चीख़ें नहीं सुनता वह भी एक दिन चीख़ें मारेगा, और उस की भी सुनी नहीं जाएगी।
14पोशीदगी में सिला देने से दूसरे का ग़ुस्सा ठंडा हो जाता, किसी की जेब गरम करने से उसका सख़्त तैश दूर हो जाता है।
15जब इनसाफ़ किया जाए तो रास्तबाज़ ख़ुश हो जाता, लेकिन बदकार दहशत खाने लगता है।
16जो समझ की राह से भटक जाए वह एक दिन मुरदों की जमात में आराम करेगा।
17जो ऐशो-इशरत की ज़िंदगी पसंद करे वह ग़रीब हो जाएगा, जिसे मै और तेल प्यारा हो वह अमीर नहीं हो जाएगा।
18जब रास्तबाज़ का फ़िद्या देना है तो बेदीन को दिया जाएगा, और दियानतदार की जगह बेवफ़ा को दिया जाएगा।
19झगड़ालू और तंग करनेवाली बीवी के साथ बसने की निसबत रेगिस्तान में गुज़ारा करना बेहतर है।
20दानिशमंद के घर में उम्दा ख़ज़ाना और तेल होता है, लेकिन अहमक़ अपना सारा माल हड़प कर लेता है।
21जो इनसाफ़ और शफ़क़त का ताक़्क़ुब करता रहे वह ज़िंदगी, रास्ती और इज़्ज़त पाएगा।
22दानिशमंद आदमी ताक़तवर फ़ौजियों के शहर पर हमला करके वह क़िलाबंदी ढा देता है जिस पर उनका पूरा एतमाद था।
23जो अपने मुँह और ज़बान की पहरादारी करे वह अपनी जान को मुसीबत से बचाए रखता है।
24मग़रूर और घमंडी का नाम ‘तानाज़न’ है, हर काम वह बेहद तकब्बुर के साथ करता है।
25काहिल का लालच उसे मौत के घाट उतार देता है, क्योंकि उसके हाथ काम करने से इनकार करते हैं।
26लालची पूरा दिन लालच करता रहता है, लेकिन रास्तबाज़ फ़ैयाज़दिली से देता है।
27बेदीनों की क़ुरबानी क़ाबिले-घिन है, ख़ासकर जब उसे बुरे मक़सद से पेश किया जाए।
28झूटा गवाह तबाह हो जाएगा, लेकिन जो दूसरे की ध्यान से सुने उस की बात हमेशा तक क़ायम रहेगी।
29बेदीन आदमी गुस्ताख़ अंदाज़ से पेश आता है, लेकिन सीधी राह पर चलनेवाला सोच-समझकर अपनी राह पर चलता है।
30किसी की भी हिकमत, समझ या मनसूबा रब का सामना नहीं कर सकता।
31घोड़े को जंग के दिन के लिए तैयार तो किया जाता है, लेकिन फ़तह रब के हाथ में है।

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अमसाल 21: DGV

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