YouVersion Logo
Search Icon

मत्ती 28

28
यीशु का पुनरुत्थान
1सब्त के दिन के बाद, सप्‍ताह के पहले दिन भोर होते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं। 2और देखो, एक बड़ा भूकंप हुआ। क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से नीचे उतर आया और पास आकर पत्थर को#28:2 कुछ हस्तलेखों में यहाँ “द्वार से” लिखा है। लुढ़का दिया और उस पर बैठ गया। 3उसका रूप बिजली के समान था और उसका वस्‍त्र हिम के समान श्‍वेत था। 4उसके भय से पहरेदार काँप उठे और मृतकों के समान हो गए। 5तब स्वर्गदूत ने स्‍त्रियों से कहा, “डरो मत, मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को, जिसे क्रूस पर चढ़ाया गया था, ढूँढ़ रही हो; 6वह यहाँ नहीं है, क्योंकि जैसा उसने कहा था, वह जी उठा है; आओ! इस स्थान को देखो जहाँ उसे रखा गया था। 7शीघ्र जाकर उसके शिष्यों को बताओ कि वह मृतकों में से जी उठा है, और देखो, वह तुमसे पहले गलील को जा रहा है, तुम उससे वहीं मिलोगे। देखो, मैंने तुमसे कह दिया है।”
8तब वे भय और बड़े आनंद के साथ शीघ्र कब्र से लौटीं और उसके शिष्यों को समाचार देने के लिए दौड़ीं। 9और देखो, यीशु उनसे मिला और कहा,“आनंदित रहो।” उन्होंने पास आकर उसके पैर पकड़ लिए और उसे दंडवत् किया। 10तब यीशु ने उनसे कहा,“डरो मत! जाओ, मेरे भाइयों को बताओ कि वे गलील को चले जाएँ, वहीं वे मुझे देखेंगे।”
पहरेदारों की सूचना
11जब वे जा ही रही थीं कि देखो, कुछ पहरेदारों ने नगर में आकर जो कुछ हुआ था वह सब मुख्य याजकों को बता दिया। 12तब उन्होंने धर्मवृद्धों के साथ इकट्ठे होकर सम्मति की और उन सैनिकों को बहुत से रुपए दिए 13और कहा, “तुम यह कहना कि रात को जब हम सो रहे थे, तो उसके शिष्यों ने आकर उसे चुरा लिया। 14और यदि यह बात राज्यपाल तक पहुँचेगी, तो हम उसे समझाकर तुम्हें संकट से बचा लेंगे।” 15तब उन्होंने रुपए लेकर वैसा ही किया, जैसा उन्हें सिखाया गया था; और यह बात यहूदियों में आज तक प्रचलित है।
अंतिम आज्ञा
16फिर ग्यारह शिष्य गलील के उस पहाड़ पर गए जहाँ आने के लिए यीशु ने उन्हें कहा था, 17और उन्होंने उसे देखकर दंडवत् किया, परंतु कुछ लोगों ने संदेह किया। 18तब यीशु ने उनके पास आकर कहा,“स्वर्ग में और पृथ्वी पर, सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 19इसलिए जाओ, और सब जातियों के लोगों को शिष्य बनाओ, और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, 20और उन्हें उन सब बातों का पालन करना सिखाओ, जिनकी आज्ञा मैंने तुम्हें दी है; और देखो, मैं जगत के अंत तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।”

Currently Selected:

मत्ती 28: HSB

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in