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सपन्याह 1

1
1आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में, सपन्याह के पास जो हिजकिय्याह के पुत्र अमर्याह का परपोता और गदल्याह का पोता और कूशी का पुत्र था, यहोवा का यह वचन पहुँचा :#2 राजा 22:1—23:30; 2 इति 34:1—35:27
परमेश्‍वर के न्याय का दिन
2“मैं धरती के ऊपर से सब का अन्त कर दूँगा,” यहोवा की यही वाणी है। 3“मैं मनुष्य और पशु दोनों का अन्त कर दूँगा; मैं आकाश के पक्षियों और समुद्र की मछलियों का, और दुष्‍टों समेत उनकी रखी हुई ठोकरों के कारण का भी अन्त कर दूँगा; मैं मनुष्य जाति को भी धरती पर से नष्‍ट कर डालूँगा,” यहोवा की यही वाणी है। 4“मैं यहूदा पर और यरूशलेम के सब रहनेवालों पर हाथ उठाऊँगा, और इस स्थान में बाल के बचे हुओं को और याजकों समेत देवताओं के पुजारियों के नाम को नष्‍ट कर दूँगा। 5जो लोग अपने अपने घर की छत पर आकाश के गण को दण्डवत् करते हैं, और जो लोग दण्डवत् करते हुए यहोवा की सेवा करने की शपथ खाते और अपने मोलेक की भी शपथ खाते हैं; 6और जो यहोवा के पीछे चलने से लौट गए हैं, और जिन्होंने न तो यहोवा को ढूँढ़ा, और न उसकी खोज में लगे, उनका भी मैं सत्यानाश कर डालूँगा।”
7परमेश्‍वर यहोवा के सामने शान्त रहो! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है; यहोवा ने यज्ञ सिद्ध किया है, और अपने पाहुनों को पवित्र किया है। 8यहोवा के यज्ञ के दिन, “मैं हाकिमों और राजकुमारों को और जितने परदेश के वस्त्र पहिना करते हैं, उनको भी दण्ड दूँगा। 9उस दिन मैं उन सभों को दण्ड दूँगा जो डेवढ़ी को लाँघते, और अपने स्वामी के घर को उपद्रव और छल से भर देते हैं।”
10यहोवा की यह वाणी है, “उस दिन मछली फाटक के पास चिल्‍लाहट का, और नये टोले मिश्नाह में हाहाकार का, और टीलों पर बड़े धमाके का शब्द होगा। 11हे मक्‍तेश के रहनेवालो, हाय, हाय, करो! क्योंकि सब व्यापारी मिट गए; जितने चाँदी से लदे थे, उन सब का नाश हो गया है। 12उस समय मैं दीपक लिए हुए यरूशलेम में ढूँढ़–ढाँढ़ करूँगा, और जो लोग दाखमधु के तलछट तथा मैल के समान बैठे हुए मन में कहते हैं कि यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा, उनको मैं दण्ड दूँगा। 13तब उनकी धन सम्पत्ति लूटी जाएगी, और उनके घर उजाड़ होंगे; वे घर तो बनाएँगे, परन्तु उन में रहने न पाएँगे; और वे दाख की बारियाँ लगाएँगे, परन्तु उन से दाखमधु न पीने पाएँगे।”
14यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है; यहोवा के दिन का शब्द सुन पड़ता है, वहाँ वीर दु:ख के मारे चिल्‍लाता है। 15वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और विनाश का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा। 16वह गढ़वाले नगरों और ऊँचे गुम्मटों के विरुद्ध नरसिंगा फूँकने और ललकारने का दिन होगा। 17मैं मनुष्यों को संकट में डालूँगा, और वे अन्धों के समान चलेंगे, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; उनका लहू धूलि के समान, और उनका मांस विष्‍ठा के समान फेंक#1:17 मूल में, उण्डेल दिया जाएगा। 18यहोवा के रोष के दिन में, न तो चाँदी से उनका बचाव होगा, और न सोने से; क्योंकि उसके जलन की आग से सारी पृथ्वी#1:18 या देश भस्म हो जाएगी; वह पृथ्वी के सारे रहनेवालों को घबराकर उसका अन्त कर डालेगा।

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