तब बोअज़ ने अपने उस सेवक से जो लवनेवालों के ऊपर ठहराया गया था पूछा, “वह किस की कन्या है?” जो सेवक लवनेवालों के ऊपर ठहराया गया था उसने उत्तर दिया, “वह मोआबिन कन्या है, जो नाओमी के संग मोआब देश से लौट आई है। उसने कहा था, ‘मुझे लवनेवालों के पीछे पीछे पूलों के बीच बीनने और बालें बटोरने दे।’ तो वह आई, और भोर से अब तक यहीं है, केवल थोड़ी देर तक घर में रही थी।” तब बोअज़ ने रूत से कहा, “हे मेरी बेटी, क्या तू सुनती है? किसी दूसरे के खेत में बीनने को न जाना, मेरी ही दासियों के संग यहीं रहना। जिस खेत को वे लवती हों उसी पर तेरा ध्यान बँधा रहे, और उन्हीं के पीछे पीछे चला करना। क्या मैं ने जवानों को आज्ञा नहीं दी, कि वे तुझे तंग न करें? और जब जब तुझे प्यास लगे, तब तब तू बरतनों के पास जाकर पानी पीना जिसे जवान लोग भरते हैं।” तब वह भूमि तक झुककर मुँह के बल गिरी, और उससे कहने लगी, “क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि करके मेरी सुधि ली है?” बोअज़ ने उत्तर दिया, “जो कुछ तू ने पति की मृत्यु के बाद अपनी सास से किया है, और तू किस प्रकार अपने माता–पिता और जन्मभूमि को छोड़कर ऐसे लोगों में आई है जिनको तू पहले न जानती थी, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है। यहोवा तेरे कार्य का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे।” उस ने कहा, “हे मेरे प्रभु, तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे, क्योंकि यद्यपि मैं तेरी दासियों में से किसी के भी बराबर नहीं हूँ, तौभी तू ने अपनी दासी के मन में पैठनेवाली बातें कहकर मुझे शान्ति दी है।”
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