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गिनती 3

3
हारून के पुत्र
1जिस समय यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से बातें कीं उस समय हारून और मूसा की यह वंशावली थी। 2हारून के पुत्रों के नाम ये हैं : नादाब जो उसका जेठा था, और अबीहू, एलीआज़ार और ईतामार;#गिन 26:60 3हारून के पुत्र, जो अभिषिक्‍त याजक थे, और उनका संस्कार याजक का काम करने के लिये हुआ था उनके नाम ये ही हैं। 4नादाब और अबीहू जिस समय सीनै के जंगल में यहोवा के सम्मुख ऊपरी आग ले गए उसी समय यहोवा के सामने मर गए थे; और वे पुत्रहीन भी थे। एलीआज़ार और ईतामार अपने पिता हारून के सामने याजक का काम करते रहे।#लैव्य 10:1,2; गिन 26:61
लेवीय, याजकों की सेवा के लिए
5फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 6“लेवी गोत्रवालों को समीप ले आकर हारून याजक के सामने खड़ा कर कि वे उसकी सेवा टहल करें। 7जो कुछ उसकी ओर से और सारी मण्डली की ओर से उन्हें सौंपा जाए उसकी रक्षा वे मिलापवाले तम्बू के सामने करें, इस प्रकार वे तम्बू की सेवा करें; 8वे मिलापवाले तम्बू के कुल सामान की और इस्राएलियों की सौंपी हुई वस्तुओं की भी रक्षा करें, इस प्रकार वे तम्बू की सेवा करें। 9और तू लेवियों को हारून और उसके पुत्रों को सौंप दे; और वे इस्राएलियों की ओर से हारून को सम्पूर्ण रीति से अर्पित किए हुए हों। 10और हारून और उसके पुत्रों को याजक के पद पर नियुक्‍त कर, और वे अपने याजक पद को सम्भालें, और यदि अन्य मनुष्य समीप आए, तो वह मार डाला जाए।”
11फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 12“सुन, इस्राएली स्त्रियों के सब पहिलौठों की सन्ती मैं इस्राएलियों में से लेवियों को ले लेता हूँ; इसलिये लेवीय मेरे ही हों। 13सब पहिलौठे मेरे हैं; क्योंकि जिस दिन मैं ने मिस्र देश में के सब पहिलौठों को मारा, उसी दिन मैं ने, क्या मनुष्य क्या पशु, इस्राएलियों के सब पहिलौठों को अपने लिये पवित्र ठहराया; इसलिये वे मेरे ही ठहरेंगे; मैं यहोवा हूँ।”#निर्ग 13:2
लेवियों की जनगणना
14फिर यहोवा ने सीनै के जंगल में मूसा से कहा, 15“लेवियों में से जितने पुरुष एक महीने या उससे अधिक आयु के हों उनको उनके पितरों के घरानों और उनके कुलों के अनुसार गिन ले।” 16यह आज्ञा पाकर मूसा ने यहोवा के कहे के अनुसार उनको गिन लिया। 17लेवी के पुत्रों के नाम ये हैं, अर्थात् गेर्शोन, कहात, और मरारी। 18और गेर्शोन के पुत्र जिनसे उसके कुल चले उनके नाम ये हैं, अर्थात् लिब्नी और शिमी। 19कहात के पुत्र जिनसे उसके कुल चले ये हैं, अर्थात् अम्राम, यिसहार, हेब्रोन, और उज्जीएल। 20और मरारी के पुत्र जिनसे उसके कुल चले ये हैं, अर्थात् महली और मूशी। ये लेवियों के कुल अपने पितरों के घरानों के अनुसार हैं।
21गेर्शोन से लिब्नियों और शिमियों के कुल चले; गेर्शोनवंशियों के कुल ये ही हैं। 22इनमें से जितने पुरुषों की आयु एक महीने की या उससे अधिक थी, उन सभों की गिनती साढ़े सात हज़ार थी। 23गेर्शोनवाले कुल को निवास के पीछे पश्‍चिम की ओर अपने डेरे डालना था; 24और गेर्शोनियों के मूलपुरुष के घराने का प्रधान लाएल का पुत्र एल्यासाप था। 25और मिलापवाले तम्बू की जो वस्तुएँ गेर्शोनवंशियों को सौंपी गई, वे ये हैं, अर्थात् निवास और तम्बू, और उसका आवरण, और मिलापवाले तम्बू के द्वार का परदा, 26और जो आँगन निवास और वेदी के चारों ओर है उसके परदे, और उसके द्वार का परदा, और सब डोरियाँ जो उसमें काम आती हैं।
27फिर कहात से अम्रामियों, यिसहारियों, हेब्रोनियों, और उज्जीएलियों के कुल चले; कहातियों के कुल ये ही हैं। 28उनमें से जितने पुरुषों की आयु एक महीने की या उससे अधिक थी उनकी गिनती आठ हज़ार छ: सौ थी। उन पर पवित्रस्थान की रक्षा का उत्तरदायित्व था। 29कहातियों के कुल को निवास के उस ओर अपने डेरे डालना था जो दक्षिण की ओर है; 30और कहातवाले कुलों के मूलपुरुष के घराने का प्रधान उज्जीएल का पुत्र एलीसापान था। 31और जो वस्तुएँ उनको सौंपी गई वे सन्दूक, मेज, दीवट, वेदियाँ, और पवित्रस्थान का वह सामान जिससे सेवा टहल होती है, और परदा; अर्थात् पवित्रस्थान में काम में आनेवाला सारा सामान था। 32और लेवियों के प्रधानों का प्रधान हारून याजक का पुत्र एलीआज़ार हो, और जो लोग पवित्रस्थान की सौंपी हुई वस्तुओं की रक्षा करेंगे उन पर वही मुखिया ठहरे।
33फिर मरारी से महलियों और मूशियों के कुल चले; मरारी के कुल ये ही हैं। 34इनमें से जितने पुरुषों की आयु एक महीने की या उससे अधिक थी उन सभों की गिनती छ: हज़ार दो सौ थी। 35और मरारी के कुलों के मूलपुरुष के घराने का प्रधान अबीहैल का पुत्र सूरीएल था; इन लोगों को निवास के उत्तर की ओर अपने डेरे खड़े करना था। 36और जो वस्तुएँ मरारीवंशियों को सौंपी गई कि वे उनकी रक्षा करें, वे निवास के तख्ते, बेंड़े, खम्भे, कुर्सियाँ, और सारा सामान; निदान जो कुछ उसके लगाने में काम आए; 37और चारों ओर के आँगन के खम्भे, और उनकी कुर्सियाँ, खूँटे और डोरियाँ थीं।
38जिन्हें मिलापवाले तम्बू के सामने, अर्थात् निवास के सामने पूरब की ओर जहाँ से सूर्योदय होता है, अपने डेरे डालना था, वे मूसा और हारून और उसके पुत्रों के डेरे हों, और पवित्रस्थान की रखवाली इस्राएलियों के बदले वे ही किया करें, और दूसरा जो कोई उसके समीप आए वह मार डाला जाए। 39यहोवा की इस आज्ञा को पाकर एक महीने की या उससे अधिक आयुवाले जितने लेवीय पुरुषों को मूसा और हारून ने उनके कुलों के अनुसार गिना, वे सब के सब बाईस हज़ार थे।
पहिलौठों का छुड़ाया जाना
40फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएलियों के जितने पहिलौठे पुरुषों की आयु एक महीने की या उससे अधिक है, उन सभों को नाम ले लेकर गिन ले। 41और मेरे लिये इस्राएलियों के सब पहिलौठों के बदले लेवियों को, और इस्राएलियों के पशुओं के सब पहिलौठों के बदले लेवियों के पशुओं को ले; मैं यहोवा हूँ।” 42यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने इस्राएलियों के सब पहिलौठों को गिन लिया। 43और सब पहिलौठे पुरुष जिनकी आयु एक महीने की या उससे अधिक थी, उनके नामों की गिनती बाईस हज़ार दो सौ तिहत्तर थी।
44तब यहोवा ने मूसा से कहा, 45“इस्राएलियों के सब पहिलौठों के बदले लेवियों को, और उनके पशुओं के बदले लेवियों के पशुओं को ले; और लेवीय मेरे ही हों; मैं यहोवा हूँ।#गिन 3:11–13; 8:18 46और इस्राएलियों के पहिलौठों में से जो दो सौ तिहत्तर गिनती में लेवियों से अधिक हैं, उनके छुड़ाने के लिये, 47पुरुष पीछे पाँच शेकेल ले; वे पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से हों, अर्थात् बीस गेरा का शेकेल हो। 48और जो रुपया उन अधिक पहिलौठों की छुड़ौती का होगा उसे हारून और उसके पुत्रों को दे देना।” 49अत: जो इस्राएली पहिलौठे लेवियों के द्वारा छुड़ाए हुओं से अधिक थे उनके हाथ से मूसा ने छुड़ौती का रुपया लिया। 50और एक हज़ार तीन सौ पैंसठ शेकेल रुपया पवित्रस्थान के शेकेल के हिसाब से वसूल हुआ। 51और यहोवा की आज्ञा के अनुसार मूसा ने छुड़ाए हुओं का रुपया हारून और उसके पुत्रों को दे दिया।

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