जब वे जा रहे थे तो वह एक गाँव में गया, और मार्था नामक एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा। मरियम नामक उसकी एक बहिन थी। वह प्रभु के चरणों में बैठकर उसका वचन सुनती थी। परन्तु मार्था सेवा करते करते घबरा गई, और उसके पास आकर कहने लगी, “हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी चिन्ता नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? इसलिये उससे कह कि मेरी सहायता करे।” प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है जो उससे छीना न जाएगा।”
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