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लैव्यव्यवस्था 6

6
1फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2“यदि कोई यहोवा का विश्‍वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, या लेनदेन, या लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, या उस पर अन्धेर करे, 3या पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं, 4तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उसने लूट, या अन्धेर करके, या धरोहर, या पड़ी पाई हो; 5चाहे कोई भी वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उसने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे, और पाँचवाँ भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे। 6और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए, अर्थात् एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए, वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए। 7इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्‍चित्त करे, और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी।”#निर्ग 22:7–15; गिन 5:5–8
भाँति भाँति के बलिदानों की विधि
होमबलि
8फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 9“हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह कि होमबलि की व्यवस्था यह है : होमबलि ईंधन के ऊपर रात भर भोर तक वेदी पर पड़ा रहे, और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे। 10और याजक अपने सनी के वस्त्र और अपने तन पर अपनी सनी की जाँघिया पहिनकर होमबलि की राख, जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए, उसे उठाकर वेदी के पास रखे। 11तब वह अपने ये वस्त्र उतारकर दूसरे वस्त्र पहिनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए। 12वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक प्रतिदिन भोर को उस पर लकड़ियाँ जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे। 13वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने न पाए।
अन्नबलि
14“अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है : हारून के पुत्र उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएँ। 15और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अन्नबलि के स्मरणार्थ इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए। 16और उसमें से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्र खाएँ; वह बिना ख़मीर पवित्रस्थान में खाया जाए, अर्थात् वे मिलापवाले तम्बू के आँगन में उसे खाएँ। 17वह ख़मीर के साथ पकाया न जाए; क्योंकि मैं ने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिये जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्र हैं, वैसा ही वह भी है। 18हारून के वंश के सब पुरुष उस में से खा सकते हैं, तुम्हारी पीढ़ी–पीढ़ी में यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्र ठहरेगा।” 19फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 20“जिस दिन हारून का अभिषेक हो उस दिन वह अपने पुत्रों के साथ यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अर्थात् एपा का दसवाँ भाग मैदा नित्य अन्नबलि में चढ़ाए, उस में से आधा भोर को और आधा सन्ध्या के समय चढ़ाए। 21वह तवे पर तेल के साथ पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अन्नबलि के पके हुए टुकड़े यहोवा के सुखदायक सुगन्ध के लिये चढ़ाना। 22हारून के पुत्रों में से जो भी उस याजकपद पर अभिषिक्‍त होगा, वह भी उसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाया करे; यह विधि सदा के लिये है, कि यहोवा के सम्मुख वह सम्पूर्ण चढ़ावा जलाया जाये। 23याजक के सम्पूर्ण अन्नबलि भी सब जलाए जाएँ; वह कभी न खाया जाए।”
पापबलि
24फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 25“हारून और उसके पुत्रों से यह कह कि पापबलि की व्यवस्था यह है : जिस स्थान में होमबलिपशु वध किया जाता है उसी में पापबलिपशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्र है। 26जो याजक पापबलि चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवित्रस्थान में, अर्थात् मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए। 27जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवित्र ठहरेगा; और यदि उसके लहू के छींटे किसी वस्त्र पर पड़ जाएँ, तो उसे किसी पवित्रस्थान में धो देना। 28और वह मिट्टी का पात्र जिसमें वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्र में उबाला गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो लिया जाए। 29याजकों में से सब पुरुष उसे खा सकते हैं; वह परमपवित्र वस्तु है। 30पर जिस पापबलिपशु के लहू में से कुछ भी लहू मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रस्थान में प्रायश्‍चित्त करने को पहुँचाया जाए, उसका मांस कभी न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए।

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