YouVersion Logo
Search Icon

लैव्यव्यवस्था 26

26
आज्ञापालन की आशीष
(व्य 7:12–24; 28:1–14)
1“तुम अपने लिये मूरतें न बनाना, और न कोई खुदी हुई मूर्ति या लाट अपने लिये खड़ी करना, और न अपने देश में दण्डवत् करने के लिये नक्‍काशीदार पत्थर स्थापित करना; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।#निर्ग 20:4; लैव्य 19:4; व्य 5:8; 16:21,22; 27:1 2तुम मेरे विश्रामदिनों का पालन करना और मेरे पवित्रस्थान का भय मानना; मैं यहोवा हूँ।
3“यदि तुम मेरी विधियों पर चलो और मेरी आज्ञाओं को मानकर उनका पालन करो, 4तो मैं तुम्हारे लिये समय समय पर मेंह बरसाऊँगा, तथा भूमि अपनी उपज उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने अपने फल दिया करेंगे; 5यहाँ तक कि तुम दाख तोड़ने के समय भी दावनी करते रहोगे, और बोने के समय भी भर पेट दाख तोड़ते रहोगे, और तुम मनमानी रोटी खाया करोगे, और अपने देश में निश्‍चिन्त बसे रहोगे।#व्य 11:13–15; 28:1–14 6और मैं तुम्हारे देश में सुख चैन दूँगा, और तुम सोओगे और तुम्हारा कोई डरानेवाला न होगा; और मैं उस देश में दुष्‍ट जन्तुओं को न रहने दूँगा, और तलवार तुम्हारे देश में न चलेगी। 7और तुम अपने शत्रुओं को मार भगाओगे, और वे तुम्हारी तलवार से मारे जाएँगे। 8तुम में से पाँच मनुष्य सौ को और सौ मनुष्य दस हज़ार को खदेड़ेंगे; और तुम्हारे शत्रु तलवार से तुम्हारे आगे आगे मारे जाएँगे; 9और मैं तुम्हारी ओर कृपा दृष्‍टि रखूँगा और तुम को फलवन्त करूँगा और बढ़ाऊँगा, और तुम्हारे संग अपनी वाचा को पूर्ण करूँगा। 10और तुम रखे हुए पुराने अनाज को खाओगे, और नये के रहते भी पुराने को निकालोगे। 11और मैं तुम्हारे बीच अपना निवास–स्थान बनाए रखूँगा, और मेरा जी तुम से घृणा नहीं करेगा। 12और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूँगा, और तुम्हारा परमेश्‍वर बना रहूँगा, और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे।#2 कुरि 6:16 13मैं तो तुम्हारा वह परमेश्‍वर यहोवा हूँ, जो तुम को मिस्र देश से इसलिये निकाल ले आया कि तुम मिस्रियों के दास न बने रहो; और मैं ने तुम्हारे जूए को तोड़ डाला है, और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया है।
आज्ञा–उल्‍लंघन का दण्ड
(व्य 28:15–68)
14“यदि तुम मेरी न सुनोगे, और इन सब आज्ञाओं को न मानोगे, 15और मेरी विधियों को निकम्मा जानोगे, और तुम्हारी आत्मा मेरे निर्णयों से घृणा करे, और तुम मेरी सब आज्ञाओं का पालन न करोगे, वरन् मेरी वाचा को तोड़ोगे, 16तो मैं तुम से यह करूँगा; अर्थात् मैं तुम को बेचैन करूँगा, और क्षयरोग और ज्‍वर से पीड़ित करूँगा, और इनके कारण तुम्हारी आँखें धुंधली हो जाएँगी, और तुम्हारा मन अति उदास होगा। और तुम्हारा बीज बोना व्यर्थ होगा, क्योंकि तुम्हारे शत्रु उसकी उपज खा लेंगे; 17और मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊँगा, और तुम अपने शत्रुओं से हार जाओगे; और तुम्हारे बैरी तुम्हारे ऊपर अधिकार करेंगे, और जब कोई तुम को खदेड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे। 18और यदि तुम इन बातों के उपरान्त भी मेरी न सुनो, तो मैं तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें सातगुणी ताड़ना और दूँगा, 19और मैं तुम्हारे बल का घमण्ड तोड़ डालूँगा, और तुम्हारे लिये आकाश को मानो लोहे का और भूमि को मानो पीतल की बना दूँगा; 20और तुम्हारा बल अकारथ गँवाया जाएगा, क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज न उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने फल न देंगे।
21“यदि तुम मेरे विरुद्ध चलते ही रहो, और मेरा कहना न मानो, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम्हारे ऊपर और सातगुणा संकट डालूँगा। 22और मैं तुम्हारे बीच वन पशु भेजूँगा, जो तुम को निर्वंश करेंगे और तुम्हारे घरेलू पशुओं को नष्‍ट कर डालेंगे, और तुम्हारी गिनती घटाएँगे, जिससे तुम्हारी सड़कें सूनी पड़ जाएँगी।
23“फिर यदि तुम इन बातों पर भी मेरी ताड़ना से न सुधरो, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहो, 24तो मैं भी तुम्हारे विरुद्ध चलूँगा, और तुम्हारे पापों के कारण मैं आप ही तुम को सातगुणा मारूँगा। 25और मैं तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊँगा, जो वाचा तोड़ने का पूरा पूरा पलटा लेगी; और जब तुम अपने नगरों में जा जाकर इकट्ठे होगे तब मैं तुम्हारे बीच मरी फैलाऊँगा, और तुम अपने शत्रुओं के वश में सौंप दिए जाओगे। 26जब मैं तुम्हारे लिये अन्न के आधार को दूर कर डालूँगा, तब दस स्त्रियाँ तुम्हारी रोटी एक ही तंदूर में पकाकर तौल तौलकर बाँट देंगी; और तुम खाकर भी तृप्‍त न होगे।
27“फिर यदि तुम इसके उपरान्त भी मेरी न सुनोगे, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहोगे, 28तो मैं अपने न्याय में तुम्हारे विरुद्ध चलूँगा, और तुम्हारे पापों के कारण तुम को सातगुणी ताड़ना और भी दूँगा। 29और तुम को अपने बेटों और बेटियों का मांस खाना पड़ेगा। 30और मैं तुम्हारे पूजा के ऊँचे स्थानों को ढा दूँगा, और तुम्हारी सूर्य की प्रतिमाएँ तोड़ डालूँगा, और तुम्हारी लोथों को तुम्हारी तोड़ी हुई मूर्तियों पर फेंक दूँगा; और मेरी आत्मा को तुम से घृणा हो जाएगी। 31और मैं तुम्हारे नगरों को उजाड़ दूँगा, और तुम्हारे पवित्रस्थानों को उजाड़ दूँगा, और तुम्हारा सुखदायक सुगन्ध ग्रहण न करूँगा। 32और मैं तुम्हारे देश को सूना कर दूँगा, और तुम्हारे शत्रु जो उसमें रहते हैं वे इन बातों के कारण चकित होंगे। 33और मैं तुम को जाति जाति के बीच तितर–बितर करूँगा, और तुम्हारे पीछे पीछे तलवार खींचे रहूँगा; और तुम्हारा देश सूना हो जाएगा, और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएँगे।
34“तब जितने दिन वह देश सूना पड़ा रहेगा और तुम अपने शत्रुओं के देश में रहोगे उतने दिन वह अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा, तब ही वह देश विश्राम पाएगा, अर्थात् अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा। 35जितने दिन वह सूना पड़ा रहेगा उतने दिन उसको विश्राम रहेगा, अर्थात् जो विश्राम उसको तुम्हारे वहाँ बसे रहने के समय तुम्हारे विश्रामकालों में न मिला होगा वह उसको तब मिलेगा। 36और तुम में से जो बच रहेंगे और अपने शत्रुओं के देश में होंगे उनके हृदय में मैं कायरता उपजाऊँगा; और वे पत्ते के खड़कने से भी भाग जाएँगे, और वे ऐसे भागेंगे जैसे कोई तलवार से भागे, और किसी के बिना पीछा किए भी वे गिर गिर पड़ेंगे। 37जब कोई पीछा करनेवाला न हो तब भी मानों तलवार के भय से वे एक दूसरे से ठोकर खाकर गिरते जाएँगे, और तुम को अपने शत्रुओं के सामने ठहरने की कुछ शक्‍ति न होगी। 38तब तुम जाति जाति के बीच पहुँचकर नष्‍ट हो जाओगे, और तुम्हारे शत्रुओं की भूमि तुम को खा जाएगी। 39और तुम में से जो बचे रहेंगे वे अपने शत्रुओं के देश में अपने अधर्म के कारण गल जाएँगे; और अपने पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण भी वे उन्हीं के समान गल जाएँगे।
40“पर यदि वे अपने और अपने पितरों के अधर्म को मान लेंगे, अर्थात् उस विश्‍वासघात को जो वे मेरा करेंगे, और यह भी मान लेंगे कि हम यहोवा के विरुद्ध चले थे, 41इसी कारण वह हमारे विरुद्ध होकर हमें शत्रुओं के देश में ले आया है। यदि उस समय उनका ख़तनारहित हृदय दब जाएगा और वे उस समय अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे;#प्रेरि 7:51 42तब जो वाचा मैं ने याक़ूब के संग बाँधी थी उसको मैं स्मरण करूँगा, और जो वाचा मैं ने इसहाक से और जो वाचा मैं ने अब्राहम से बाँधी थी उनको भी स्मरण करूँगा, और इस देश को भी मैं स्मरण करूँगा।#उत्प 17:7,8; 26:3,4; 28:13,14 43पर वह देश उनसे रहित होकर सूना पड़ा रहेगा, और उनके बिना सूना रहकर भी अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा; और वे लोग अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे, इसी कारण से कि उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उल्‍लंघन किया था, और उनकी आत्माओं को मेरी विधियों से घृणा थी। 44इतने पर भी जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे तब मैं उनको इस प्रकार नहीं छोड़ूँगा, और न उनसे ऐसी घृणा करूँगा कि उनका सर्वनाश कर डालूँ और अपनी उस वाचा को तोड़ दूँ जो मैं ने उनसे बाँधी है; क्योंकि मैं उनका परमेश्‍वर यहोवा हूँ; 45परन्तु मैं उनकी भलाई के लिये उनके पितरों से बाँधी हुई वाचा को स्मरण करूँगा; जिन्हें मैं अन्यजातियों की आँखों के सामने मिस्र देश से निकालकर लाया कि मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँ; मैं यहोवा हूँ।”
46जो जो विधियाँ और नियम और व्यवस्था यहोवा ने अपनी ओर से इस्राएलियों के लिये सीनै पर्वत पर मूसा के द्वारा ठहराई थीं वे ये ही हैं।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

YouVersion uses cookies to personalize your experience. By using our website, you accept our use of cookies as described in our Privacy Policy