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निर्गमन 29

29
हारून और उसके पुत्रों का याजक पद के लिए अभिषेक
(लैव्य 8:1–36)
1“उन्हें पवित्र करने को जो काम तुझे उन के साथ करना है कि वे मेरे लिये याजक का काम करें, वह यह है : एक निर्दोष बछड़ा और दो निर्दोष मेढ़े लेना, 2और अख़मीरी रोटी, और तेल से सने हुए मैदे के अख़मीरी फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी पपड़ियाँ भी लेना। ये सब गेहूँ के मैदे के बनवाना। 3इनको एक टोकरी में रखकर उस टोकरी को उस बछड़े और उन दोनों मेढ़ों समेत समीप ले आना। 4फिर हारून और उसके पुत्रों को मिलापवाले तम्बू के द्वार के समीप ले आकर जल से नहलाना। 5तब उन वस्त्रों को लेकर हारून को अंगरखा और एपोद का बागा पहिनाना, और एपोद और चपरास बाँधना, और एपोद का काढ़ा हुआ पट्टा भी बाँधना; 6और उसके सिर पर पगड़ी को रखना, और पगड़ी पर पवित्र मुकुट को रखना। 7तब अभिषेक का तेल ले उसके सिर पर डालकर उसका अभिषेक करना। 8फिर उसके पुत्रों को समीप ले आकर उनको अंगरखे पहिनाना, 9और उनके अर्थात् हारून और उसके पुत्रों की कमर बाँधना और उनके सिर पर टोपियाँ रखना; जिससे याजक के पद पर सदा उनका हक रहे। इस प्रकार हारून और उसके पुत्रों का संस्कार करना।
10“तब बछड़े को मिलापवाले तम्बू के सामने समीप ले आना। हारून और उसके पुत्र बछड़े के सिर पर अपने अपने हाथ रखें, 11तब उस बछड़े को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर बलि करना, 12और बछड़े के लहू में से कुछ लेकर अपनी उंगली से वेदी के सींगों पर लगाना, और शेष सब लहू को वेदी के पाए पर उंडेल देना, 13और जिस चरबी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं, और जो झिल्‍ली कलेजे के ऊपर होती है, उनको और दोनों गुर्दों को उनके ऊपर की चरबी समेत लेकर सब को वेदी पर जलाना। 14परन्तु बछड़े का मांस, और खाल, और गोबर, छावनी से बाहर आग में जला देना; क्योंकि यह पापबलि होगा।
15“फिर एक मेढ़ा लेना, और हारून और उसके पुत्र उसके सिर पर अपने अपने हाथ रखें, 16तब उस मेढ़े को बलि करना, और उसका लहू लेकर वेदी पर चारों ओर छिड़कना। 17तब उस मेढ़े को टुकड़े टुकड़े काटना, और उसकी अंतड़ियों और पैरों को धोकर उसके टुकड़ों और सिर के ऊपर रखना, 18और उस पूरे मेढ़े को वेदी पर जलाना; वह तो यहोवा के लिये होमबलि होगा; वह सुखदायक सुगन्ध और यहोवा के लिये हवन#29:18 अर्थात्, जो वस्तु अग्नि में छोड़के चढ़ाई जाए होगा।#इफि 5:2; फिलि 4:18
19“फिर दूसरे मेढ़े को लेना; और हारून और उसके पुत्र उसके सिर पर अपने अपने हाथ रखें, 20तब उस मेढ़े को बलि करना, और उसके लहू में से कुछ लेकर हारून और उसके पुत्रों के दाहिने कान के सिरे पर, और उनके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अंगूठों पर लगाना, और लहू को वेदी पर चारों ओर छिड़क देना। 21फिर वेदी पर के लहू और अभिषेक के तेल, इन दोनों में से कुछ कुछ लेकर हारून और उसके वस्त्रों पर, और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़क देना; तब वह अपने वस्त्रों समेत, और उसके पुत्र भी अपने अपने वस्त्रों समेत पवित्र हो जाएँगे। 22तब मेढ़े को संस्कार–वाला जानकर उसमें से चरबी और मोटी पूँछ को, और जिस चरबी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं उसको, और कलेजे पर की झिल्‍ली को, और चरबी समेत दोनों गुर्दों को, और दाहिने पुट्ठे को लेना, 23और अख़मीरी रोटी की टोकरी जो यहोवा के आगे धरी होगी उसमें से भी एक रोटी, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक पपड़ी लेकर, 24इन सब को हारून और उसके पुत्रों के हाथों में रखकर हिलाए जाने की भेंट ठहराके यहोवा के आगे हिलाया जाए। 25तब उन वस्तुओं को उनके हाथों से लेकर होमबलि की वेदी पर जला देना, जिससे वह यहोवा के सामने सुखदायक सुगन्ध ठहरे; वह यहोवा के लिये हवन होगा।
26“फिर हारून के संस्कार का जो मेढ़ा होगा उसकी छाती को लेकर हिलाए जाने की भेंट के लिये यहोवा के आगे हिलाना; और वह तेरा भाग ठहरेगा। 27और हारून और उसके पुत्रों के संस्कार का जो मेढ़ा होगा, उसमें से हिलाए जाने की भेंटवाली छाती जो हिलाई जाएगी, और उठाए जाने का भेंटवाला पुट्ठा जो उठाया जाएगा, इन दोनों को पवित्र ठहराना। 28और ये सदा की विधि की रीति पर इस्राएलियों की ओर से उसका और उसके पुत्रों का भाग ठहरे, क्योंकि ये उठाए जाने की भेंटें ठहरी हैं; और यह इस्राएलियों की ओर से उनके मेलबलियों में से यहोवा के लिये उठाए जाने की भेंट होगी।
29“हारून के जो पवित्र वस्त्र होंगे वह उसके बाद उसके बेटे पोते आदि को मिलते रहें, जिससे उन्हीं को पहिने हुए उनका अभिषेक और संस्कार किया जाए। 30उसके पुत्रों में से जो उसके स्थान पर याजक होगा, वह जब पवित्रस्थान में सेवा टहल करने को मिलापवाले तम्बू में पहले आए, तब उन वस्त्रों को सात दिन तक पहिने रहे।
31“फिर याजक के संस्कार का जो मेढ़ा होगा उसे लेकर उसका मांस किसी पवित्रस्थान में पकाना; 32तब हारून अपने पुत्रों समेत उस मेढ़े का मांस और टोकरी की रोटी, दोनों को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खाए। 33जिन पदार्थों से उनका संस्कार और उन्हें पवित्र करने के लिये प्रायश्‍चित्त किया जाएगा उनको तो वे खाएँ, परन्तु पराए कुल का कोई उन्हें न खाने पाए, क्योंकि वे पवित्र होंगे। 34यदि संस्कारवाले मांस या रोटी में से कुछ सबेरे तक बचा रहे, तो उस बचे हुए को आग में जलाना, वह खाया न जाए; क्योंकि वह पवित्र होगा।
35“मैं ने तुझे जो जो आज्ञा दी है; उन सभों के अनुसार तू हारून और उसके पुत्रों से करना; और सात दिन तक उनका संस्कार करते रहना, 36अर्थात् पापबलि का एक बछड़ा प्रायश्‍चित्त के लिये प्रतिदिन चढ़ाना। वेदी को भी प्रायश्‍चित्त करने के समय शुद्ध करना, और उसे पवित्र करने के लिये उसका अभिषेक करना। 37सात दिन तक वेदी के लिये प्रायश्‍चित्त करके उसे पवित्र करना, और वेदी परमपवित्र ठहरेगी; और जो कुछ उस से छू जाएगा वह भी पवित्र हो जाएगा।
दैनिक भेंट
(गिन 28:1–8)
38“जो तुझे वेदी पर नित्य चढ़ाना होगा वह यह है : प्रतिदिन एक एक वर्ष के दो भेड़ के बच्‍चे। 39एक भेड़ के बच्‍चे को तो भोर के समय, और दूसरे भेड़ के बच्‍चे को गोधूलि के समय चढ़ाना; 40और पहले भेड़ के बच्‍चे के संग हीन की चौथाई#29:40 ‘हीन की चौथाई’ बराबर लगभग एक लिटर कूटके निकाले हुए तेल से सना हुआ एपा का दसवाँ भाग#29:40 ‘एपा का दसवाँ भाग’ बराबर लगभग एक किलोग्राम मैदा, और अर्घ के लिये हीन की चौथाई दाखमधु देना। 41और दूसरे भेड़ के बच्‍चे को गोधूलि के समय चढ़ाना, और उसके साथ भोर की रीति अनुसार अन्नबलि और अर्घ दोनों देना, जिस से वह सुखदायक सुगन्ध और यहोवा के लिये हवन ठहरे। 42तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ी में यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू के द्वार पर नित्य ऐसा ही होमबलि हुआ करे; यह वह स्थान है जिसमें मैं तुम लोगों से इसलिये मिला करूँगा कि तुझ से बातें करूँ। 43मैं इस्राएलियों से वहीं मिला करूँगा और वह तम्बू मेरे तेज से पवित्र किया जाएगा; 44और मैं मिलापवाले तम्बू और वेदी को पवित्र करूँगा, और हारून और उसके पुत्रों को भी पवित्र करूँगा कि वे मेरे लिये याजक का काम करें। 45और मैं इस्राएलियों के मध्य निवास करूँगा, और उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा। 46तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा उनका परमेश्‍वर हूँ, जो उनको मिस्र देश से इसलिये निकाल ले आया कि उनके मध्य निवास करूँ; मैं ही उनका परमेश्‍वर यहोवा हूँ।

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