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व्यवस्थाविवरण 6

6
महा–आज्ञा
1“यह वह आज्ञा, और वे विधियाँ और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिकारी होने को पार जाने पर हो; 2और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूँ, अपने जीवन भर चलते रहें, जिससे तू बहुत दिन तक बना रहे। 3हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्‍वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहाँ दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं तुम बहुत हो जाओ।
4“हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्‍वर है, यहोवा एक ही है;#मरकुस 12:29 5तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना।#मत्ती 22:37; मरकुस 12:30; लूका 10:27 6और ये आज्ञाएँ जो मैं आज तुझ को सुनाता हूँ वे तेरे मन में बनी रहें; 7और तू इन्हें अपने बाल–बच्‍चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। 8और इन्हें अपने हाथ पर चिह्न के रूप में बाँधना, और ये तेरी आँखों के बीच टीके का काम दें। 9और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।#व्य 11:18–20
आज्ञा–उल्‍लंघन के विरुद्ध चेतावनी
10“जब तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे उस देश में पहुँचाए जिसके विषय में उसने अब्राहम, इसहाक, और याक़ूब नामक तेरे पूर्वजों से तुझे देने की शपथ खाई, और जब वह तुझ को बड़े बड़े और अच्छे नगर, जो तू ने नहीं बनाए,#उत्प 12:7; 26:3; 28:13 11और अच्छे अच्छे पदार्थों से भरे हुए घर जो तू ने नहीं भरे, और खुदे हुए कुएँ, जो तू ने नहीं खोदे, और दाख की बारियाँ और जैतून के वृक्ष, जो तू ने नहीं लगाए, ये सब वस्तुएँ जब वह दे, और तू खाके तृप्‍त हो, 12तब सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि तू यहोवा को भूल जाए, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल लाया है। 13अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना, और उसी के नाम की शपथ खाना।#मत्ती 4:10; लूका 4:8 14तुम पराए देवताओं के, अर्थात् अपने चारों ओर के देशों के लोगों के देवताओं के पीछे न हो लेना; 15क्योंकि तेरा परमेश्‍वर यहोवा जो तेरे बीच में है वह जल उठनेवाला ईश्‍वर है; कहीं ऐसा न हो कि तेरे परमेश्‍वर यहोवा का कोप तुझ पर भड़के, और वह तुझ को पृथ्वी पर से नष्‍ट कर डाले।
16“तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की परीक्षा न करना, जैसे कि तुम ने मस्सा में उसकी परीक्षा की थी।#निर्ग 17:1–7; मत्ती 4:7; लूका 4:12 17अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाओं, चेतावनियों और विधियों को जो उसने तुझ को दी हैं, सावधानी से मानना। 18और जो काम यहोवा की दृष्‍टि में ठीक और सुहावना है वही किया करना, जिससे कि तेरा भला हो, और जिस उत्तम देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाई उसमें तू प्रवेश करके उसका अधिकारी हो जाए; 19कि तेरे सब शत्रु तेरे सामने से दूर कर दिए जाएँ, जैसा कि यहोवा ने कहा था।
20“फिर आगे को जब तेरा लड़का तुझ से पूछे, ‘ये चेतावनियाँ और विधि और नियम, जिनके मानने की आज्ञा हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम को दी है, इनका प्रयोजन क्या है?’ 21तब अपने लड़के से कहना, ‘जब हम मिस्र में फ़िरौन के दास थे, तब यहोवा बलवन्त हाथ से हम को मिस्र में से निकाल ले आया; 22और यहोवा ने हमारे देखते मिस्र में फ़िरौन और उसके सारे घराने को दु:ख देनेवाले बड़े बड़े चिह्न और चमत्कार दिखाए; 23और हम को वह वहाँ से निकाल लाया, इसलिये कि हमें इस देश में पहुँचाकर, जिसके विषय में उसने हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी, इसको हमें सौंप दे। 24और यहोवा ने हमें ये सब विधियाँ पालन करने की आज्ञा दी, इसलिये कि हम अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मानें, और इस रीति सदैव हमारा भला हो, और वह हम को जीवित रखे, जैसा कि आज के दिन है। 25और यदि हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की दृष्‍टि में उसकी आज्ञा के अनुसार इन सारे नियमों के मानने में चौकसी करें, तो यह हमारे लिये धर्म ठहरेगा।’

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