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कुलुस्सियों 4

4
1हे स्वामियो, अपने अपने दासों के साथ न्याय और ठीक ठीक व्यवहार करो, यह समझकर कि स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है।#इफि 6:9
कुछ व्यावहारिक सलाह
2प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो; 3और इसके साथ ही साथ हमारे लिये भी प्रार्थना करते रहो कि परमेश्‍वर हमारे लिये वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिसके कारण मैं कैद में हूँ, 4और उसे ऐसा प्रगट करूँ, जैसा मुझे करना उचित है।
5अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से व्यवहार करो।#इफि 5:16 6तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
अन्तिम अभिवादन
7प्रिय भाई और विश्‍वासयोग्य सेवक, तुखिकुस#प्रेरि 20:4; 2 तीमु 4:12 , जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा। 8उसे मैं ने इसलिये तुम्हारे पास भेजा है कि तुम्हें हमारी दशा मालूम हो जाए और वह तुम्हारे हृदयों को शान्ति दे।#इफि 6:21,22 9उसके साथ मैं ने उनेसिमुस को भी भेजा है#फिले 10–12 जो विश्‍वासयोग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है; ये तुम्हें यहाँ की सारी बातें बता देंगे।
10अरिस्तर्खुस#प्रेरि 19:29; 27:2; फिले 24 , जो मेरे साथ कैदी है, और मरकुस#प्रेरि 12:12,25; 13:13; 15:37–39 जो बरनबास का भाई लगता है (जिसके विषय में तुम ने आज्ञा पाई थी कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उससे अच्छी तरह व्यवहार करना), 11और यीशु जो यूस्तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगों में से केवल ये ही परमेश्‍वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरी शान्ति का कारण रहे हैं। 12इपफ्रास#कुलु 1:7; फिले 23 , जो तुम में से है और मसीह यीशु का दास है, तुम्हें नमस्कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्‍वास के साथ परमेश्‍वर की इच्छा पर स्थिर रहो। 13मैं उसका गवाह हूँ कि वह तुम्हारे लिये और लौदीकिया और हियरापुलिसवालों के लिये बड़ा परिश्रम करता रहता है। 14प्रिय वैद्य लूका#2 तीमु 4:11; फिले 24 और देमास#2 तीमु 4:10; फिले 24 का तुम्हें नमस्कार। 15लौदीकिया के भाइयों को, और नुमफास और उनके घर की कलीसिया को नमस्कार कहना। 16जब यह पत्र तुम्हारे यहाँ पढ़ लिया जाए तो ऐसा करना कि लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़ा जाए, और वह पत्र जो लौदीकिया से आए उसे तुम भी पढ़ना। 17और अर्खिप्पुस#फिले 2 से कहना कि जो सेवा प्रभु में तुझे सौंपी गई है, उसे सावधानी के साथ पूरी करना।
18मुझ पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ नमस्कार। मेरी जंजीरों को स्मरण रखना। तुम पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।

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