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2 इतिहास 5

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1इस प्रकार सुलैमान ने यहोवा के भवन के लिये जो जो काम बनवाया वह सब पूरा हो गया। तब सुलैमान ने अपने पिता दाऊद के पवित्र किए हुए सोने, चाँदी और सब पात्रों को भीतर पहुँचाकर परमेश्‍वर के भवन के भण्डारों में रखवा दिया।#2 शमू 8:11; 1 इति 18:11
मन्दिर में वाचा के सन्दूक की प्रतिष्‍ठा
(1 राजा 8:1–9)
2तब सुलैमान ने इस्राएल के पुरनियों को और गोत्रों के सब मुख्य पुरुष, जो इस्राएलियों के पितरों के घरानों के प्रधान थे, उनको भी यरूशलेम में इस उद्देश्य से इकट्ठा किया, कि वे यहोवा की वाचा का सन्दूक दाऊदपुर से अर्थात् सिय्योन से ऊपर ले आएँ।#2 शमू 6:12–15; 1 इति 15:25–28 3सब इस्राएली पुरुष सातवें महीने के पर्व के समय राजा के पास इकट्ठा हुए। 4जब इस्राएल के सब पुरनिये आए, तब लेवियों ने सन्दूक को उठा लिया, 5और लेवीय याजक सन्दूक और मिलाप का तम्बू और जितने पवित्र पात्र उस तम्बू में थे उन सभों को ऊपर ले गए। 6तब राजा सुलैमान और सब इस्राएली मण्डली के लोग जो उसके पास इकट्ठा हुए थे, उन्होंने सन्दूक के सामने इतने भेड़ और बैल बलि किए, जिनकी गिनती और हिसाब बहुतायत के कारण नहीं हो सकता था। 7तब याजकों ने यहोवा की वाचा का सन्दूक उसके स्थान में, अर्थात् भवन की भीतरी कोठरी में जो परमपवित्र स्थान है, पहुँचाकर, करूबों के पंखों के नीचे रख दिया। 8सन्दूक के स्थान के ऊपर करूब पंख फैलाए हुए थे, जिससे वे ऊपर से सन्दूक और उसके डण्डों को ढाँके थे। 9डण्डे इतने लम्बे थे कि उनके सिरे सन्दूक से निकले हुए भीतरी कोठरी के सामने देख पड़ते थे, परन्तु बाहर से वे दिखाई न पड़ते थे। वे आज के दिन तक वहीं हैं। 10सन्दूक में पत्थर की उन दो पटियाओं को छोड़ कुछ न था,#व्य 10:5 जिन्हें मूसा ने होरेब में उसके भीतर उस समय रखा, जब यहोवा ने इस्राएलियों के मिस्र से निकलने के बाद उनके साथ वाचा बाँधी थी।
परमेश्‍वर का तेज
11जब याजक पवित्रस्थान से निकले (जितने याजक उपस्थित थे, उन सभों ने अपने अपने को पवित्र किया था, और अलग अलग दलों में होकर सेवा न करते थे; 12और जितने लेवीय गायक थे, वे सब के सब अर्थात् पुत्रों और भाइयों समेत आसाप, हेमान, और यदूतून सन के वस्त्र पहिने झाँझ, सारंगियाँ और वीणाएँ लिये हुए, वेदी के पूर्व की ओर खड़े थे, और उनके साथ एक सौ बीस याजक तुरहियाँ बजा रहे थे।) 13और जब तुरहियाँ बजानेवाले और गानेवाले एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, और तुरहियाँ, झाँझ आदि वाद्यों को बजाते हुए यहोवा की यह स्तुति ऊँचे शब्द से करने लगे,
“वह भला है
और उसकी करुणा सदा की है,”#1 इति 16:34; 2 इति 7:3; एज्रा 3:11; भजन 100:5; 106:1; 107:1; 116:1; 136:1; यिर्म 33:11
तब यहोवा के भवन में बादल छा गया, 14और बादल के कारण याजक लोग सेवा–टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज परमेश्‍वर के भवन में भर गया था।#निर्ग 40:34,35

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