YouVersion Logo
Search Icon

1 कुरिन्थियों 8

8
मूर्तियों को चढ़ाया गया भोजन
1अब मूर्तियों के सामने बलि की हुई वस्तुओं के विषय में – हम जानते हैं कि हम सब को ज्ञान है। ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है, परन्तु प्रेम से उन्नति होती है। 2यदि कोई समझे कि मैं कुछ जानता हूँ, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता। 3परन्तु यदि कोई परमेश्‍वर से प्रेम रखता है, तो परमेश्‍वर उसे पहिचानता है।
4अत: मूर्तियों के सामने बलि की हुई वस्तुओं के खाने के विषय में – हम जानते हैं कि मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं, और एक को छोड़ और कोई परमेश्‍वर नहीं। 5यद्यपि आकाश में और पृथ्वी पर बहुत से ईश्‍वर कहलाते हैं – जैसा कि बहुत से ईश्‍वर और बहुत से प्रभु हैं – 6तौभी हमारे लिये तो एक ही परमेश्‍वर है : अर्थात् पिता जिसकी ओर से सब वस्तुएँ हैं, और हम उसी के लिये हैं। और एक ही प्रभु है, अर्थात् यीशु मसीह जिसके द्वारा सब वस्तुएँ हुईं, और हम भी उसी के द्वारा हैं।
7पर सब को यह ज्ञान नहीं, परन्तु कुछ तो अब तक मूर्ति को कुछ समझने के कारण मूर्तियों के सामने बलि की हुई वस्तु को कुछ समझकर खाते हैं, और उनका विवेक#8:7 अर्थात्, मन या कॉनशन्स निर्बल होने के कारण अशुद्ध हो जाता है। 8भोजन हमें परमेश्‍वर के निकट नहीं पहुँचाता। यदि हम न खाएँ तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएँ तो कुछ लाभ नहीं। 9परन्तु सावधान! ऐसा न हो कि तुम्हारी यह स्वतंत्रता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए। 10क्योंकि यदि कोई तुझ ज्ञानी को मूर्ति के मन्दिर में भोजन करते देखे और वह निर्बल जन हो, तो क्या उसके विवेक को मूर्ति के सामने बलि की हुई वस्तु खाने का साहस न हो जाएगा। 11इस रीति से तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिसके लिये मसीह मरा, नष्‍ट हो जाएगा। 12इस प्रकार भाइयों के विरुद्ध अपराध करने से और उनके निर्बल विवेक#8:12 अर्थात्, मन या कॉनशन्स को चोट पहुँचाने से, तुम मसीह के विरुद्ध अपराध करते हो। 13इस कारण यदि भोजन मेरे भाई को ठोकर खिलाए, तो मैं कभी किसी रीति से मांस न खाऊँगा, न हो कि मैं अपने भाई के लिये ठोकर का कारण बनूँ।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

YouVersion uses cookies to personalize your experience. By using our website, you accept our use of cookies as described in our Privacy Policy