और याद रहे कि यह रास्तबाज़ों के लिए नहीं दी गई। क्योंकि यह उनके लिए है जो बग़ैर शरीअत के और सरकश ज़िंदगी गुज़ारते हैं, जो बेदीन और गुनाहगार हैं, जो मुक़द्दस और रूहानी बातों से ख़ाली हैं, जो अपने माँ-बाप के क़ातिल हैं, जो ख़ूनी, ज़िनाकार, हमजिंसपरस्त और ग़ुलामों के ताजिर हैं, जो झूट बोलते, झूटी क़सम खाते और मज़ीद बहुत कुछ करते हैं जो सेहतबख़्श तालीम के ख़िलाफ़ है।