दुनिया को प्यार मत करना, न किसी चीज़ को जो दुनिया में है। अगर कोई दुनिया को प्यार करे तो ख़ुदा बाप की मुहब्बत उसमें नहीं है। क्योंकि जो भी चीज़ दुनिया में है वह बाप की तरफ़ से नहीं बल्कि दुनिया की तरफ़ से है, ख़ाह वह जिस्म की बुरी ख़ाहिशात, आँखों का लालच या अपनी मिलकियत पर फ़ख़र हो।