दारुँड़ीया मती बणो, काँके ईंऊँ नागाईपणो वेवे हे, पण आत्माऊँ भर जावो। अन थाँ भजन, आत्मिक गीत अन परबू की बड़ई का गीत एक-दूँजा का वाते गावो अन आपणाँ-आपणाँ हरदाऊँ परबू का वाते भजन-भाव करता रो। अन हरदाण हारी बाताँ का वाते आपणाँ परबू ईसू मसी का नामऊँ आपणाँ बापू परमेसर को धन्नेवाद करता रेवो।