जो अपनो स्वरूप यद्दपि परमेश्वर को स्वरूप होतो,
पर ओन अपनो आप ख परमेश्वर को जसो रहनो, यो फायदा हय असो ओन मान्यो नहीं।
बल्की अपनो आप ख असो शून्य कर दियो,
अऊर सेवक को स्वरूप धारन कर लियो,
अऊर आदमी की
समानता म भय गयो।
अऊर आदमी को रूप म प्रगट होय क अपनो आप ख नरमी करयो, अऊर यहां तक आज्ञाकारी रह्यो कि मृत्यु तक पहुंच गयो,
क्रूस की मृत्यु भी स्वीकार करयो।