यीशु के सम्मुखनमूना

यीशु एक लेखक से मुलाकात की, जो "धार्मिक" लोगों में से एक था, जिसने कानून सिखा था औरउसकाकठोरता से पालन करताथा। यह लेखक यीशु का अनुसरण करने के विचार से रोमांचित लग रहा था, लेकिनउसेअनुसरण करने कीकीमतका एहसास नहीं था। यीशु उसे यह देखने में मदद करता है कि वह किस तरह का जीवन होगा-अर्थातएक ऐसा जीवन जहाँ उसके पास अपना सिर रखने के लिए जगह नहीं होगी।
शिष्यबनने के लिए भरी कीमत चुकानी पड़तीहै और इसके लिए कई बारहमे जो कुछ हमारे पास है या जो कुछ हम हैं सब कुछ परमेश्वर के सम्मुख चढ़ाना पड़ता है। यीशु ने कभी किसी से समर्पण की मांग नहीं की, लेकिन वह अपने शिष्यों के सामनेनमूना पेश करते हैंकि जब वे उसका अनुसरण करेंगे तोउन्हें किन किन चीज़ों से निपटना पड़ेगा। समर्पणका अर्थ धीरे धीरेनियंत्रणको अपने हाथों से निकलने देना औरपरमेश्वर कोसौंपनाहै जो हमारी देखभालअति उत्तम ढंग से करता है।
त्याग और निस्वार्थता के जीवन के लिए आराम, विलासितातथा अन्य कई चीज़ोंकी हमारी आवश्यकता को छोड़ने की हमारी तत्परता हमें देखने वाली दुनिया से अलग करेगी।
अपने आप से पूछने के लिए प्रश्न
मैं आराम छोड़ने के लिए कितना तैयार हूं ?
मेरे जीवन के किन क्षेत्रों को मैंने अभी तक परमेश्वर के सामनेसमर्पितनहीं किया है?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

उपवास काल का समय हमारे अनन्त परमेश्वर से जुड़ी परिचित सच्चाईयों पर पुनः विचार करने का एक अतुल्य समय रहता है]जिसने हमारे बीच में और हम में डेरा किया। हमारी यह कामना है कि इस बाइबल योजना के द्वारा] आप 40 दिनों में प्रतिदिन परमेश्वर के वचन में अपना कुछ समय व्यतीत करेगें जो यीशु मसीह को बिल्कुल नये स्तर पर जानने में आपकी अगुवाई करता है।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए वी आर सिय्योन को धन्यवाद देना चाहते हैं। और अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करें: https://www.instagram.com/wearezion.in/