मरकुस 8:1-10
मरकुस 8:1-10 HINOVBSI
उन दिनों में जब फिर बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और उनके पास कुछ खाने को न था, तो उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उनसे कहा, “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है, क्योंकि यह तीन दिन से बराबर मेरे साथ है, और उनके पास कुछ भी खाने को नहीं। यदि मैं उन्हें भूखा घर भेज दूँ, तो मार्ग में थक कर रह जाएँगे; क्योंकि इनमें से कोई कोई दूर से आए हैं।” उसके चेलों ने उसको उत्तर दिया, “यहाँ जंगल में इतनी रोटी कोई कहाँ से लाए कि ये तृप्त हों?” उसने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने कहा, “सात।” तब उसने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी, और वे सात रोटियाँ लीं और धन्यवाद करके तोड़ीं, और अपने चेलों को देता गया कि उनके आगे रखें, और उन्होंने लोगों के आगे परोस दिया। उनके पास थोड़ी सी छोटी मछलियाँ भी थीं; उसने धन्यवाद करके उन्हें भी लोगों के आगे रखने की आज्ञा दी। वे खाकर तृप्त हो गए और चेलों ने शेष टुकड़ों के सात टोकरे भरकर उठाए। और लोग चार हज़ार के लगभग थे; तब उसने उनको विदा किया, और वह तुरन्त अपने चेलों के साथ नाव पर चढ़कर दलमनूता प्रदेश को चला गया।